चित्रसेना: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) मगध देश की वत्सा नगरी के निवासी अग्निमित्र ब्राह्मण और उसकी वैश्य जातीय पत्नी की पुत्री । यह अग्निमित्र की ब्राह्मण पत्नी से उत्पन्न शिवभूति की बहिन थी । इसका विवाह इसी नगर के निवासी देवशर्मा ब्राह्मण से हुआ था । विधवा हो जाने से यह अपने पुत्रों के साथ अपने भाई शिवभूति के पास रहने लगी थी । शिवभूति की पत्नी सोमिला को इसका उसके पास रहना रुचिकर न था । सोमिला ने शिवभूति के साथ इसके अनुचित संबंध होने का दोषारोपण किया जिसमें दुखी हो इसने बदला लेने का निश्चय किया था । सोमिला से द्वेष करने के कारण यह चिरकाल तक संसार मे भ्रमण करती रही अनंतर मृत्यु होने पर यह कौशांबी नगरी में एक वैश्य की पुत्री भद्रा नाम से प्रसिद्ध होकर वृषभसेन की पत्नी हुई । निदान के समय किये गये बैर के फलस्वरूप ही इसे चंदना की पर्याय में कष्ट भोगने पड़े थे । <span class="GRef"> महापुराण 75.70-80, 175-176 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) मगध देश की वत्सा नगरी के निवासी अग्निमित्र ब्राह्मण और उसकी वैश्य जातीय पत्नी की पुत्री । यह अग्निमित्र की ब्राह्मण पत्नी से उत्पन्न शिवभूति की बहिन थी । इसका विवाह इसी नगर के निवासी देवशर्मा ब्राह्मण से हुआ था । विधवा हो जाने से यह अपने पुत्रों के साथ अपने भाई शिवभूति के पास रहने लगी थी । शिवभूति की पत्नी सोमिला को इसका उसके पास रहना रुचिकर न था । सोमिला ने शिवभूति के साथ इसके अनुचित संबंध होने का दोषारोपण किया जिसमें दुखी हो इसने बदला लेने का निश्चय किया था । सोमिला से द्वेष करने के कारण यह चिरकाल तक संसार मे भ्रमण करती रही अनंतर मृत्यु होने पर यह कौशांबी नगरी में एक वैश्य की पुत्री भद्रा नाम से प्रसिद्ध होकर वृषभसेन की पत्नी हुई । निदान के समय किये गये बैर के फलस्वरूप ही इसे चंदना की पर्याय में कष्ट भोगने पड़े थे । <span class="GRef"> महापुराण 75.70-80, 175-176 </span></p> | ||
<p id="2">(2) अतिबल विद्याधर की रानी । <span class="GRef"> महापुराण 47.108-109 </span></p> | <p id="2">(2) अतिबल विद्याधर की रानी । <span class="GRef"> महापुराण 47.108-109 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
(1) मगध देश की वत्सा नगरी के निवासी अग्निमित्र ब्राह्मण और उसकी वैश्य जातीय पत्नी की पुत्री । यह अग्निमित्र की ब्राह्मण पत्नी से उत्पन्न शिवभूति की बहिन थी । इसका विवाह इसी नगर के निवासी देवशर्मा ब्राह्मण से हुआ था । विधवा हो जाने से यह अपने पुत्रों के साथ अपने भाई शिवभूति के पास रहने लगी थी । शिवभूति की पत्नी सोमिला को इसका उसके पास रहना रुचिकर न था । सोमिला ने शिवभूति के साथ इसके अनुचित संबंध होने का दोषारोपण किया जिसमें दुखी हो इसने बदला लेने का निश्चय किया था । सोमिला से द्वेष करने के कारण यह चिरकाल तक संसार मे भ्रमण करती रही अनंतर मृत्यु होने पर यह कौशांबी नगरी में एक वैश्य की पुत्री भद्रा नाम से प्रसिद्ध होकर वृषभसेन की पत्नी हुई । निदान के समय किये गये बैर के फलस्वरूप ही इसे चंदना की पर्याय में कष्ट भोगने पड़े थे । महापुराण 75.70-80, 175-176
(2) अतिबल विद्याधर की रानी । महापुराण 47.108-109