प्रमेय: Difference between revisions
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<p> स्याद्वादमंजरी/10/110/26 <span class="SanskritText">द्रव्यपर्यायात्मकं वस्तु प्रमेयम्, इति तु समीचीनं लक्षणं सर्वसंग्राहकत्वात् ।</span> = <span class="HindiText">द्रव्य-पर्यायरूप वस्तु ही प्रमेय है। यही प्रमेय का लक्षण सर्व संग्राहक होने से समीचीन है ।</span><br /> | <p><span class="GRef"> स्याद्वादमंजरी/10/110/26 </span><span class="SanskritText">द्रव्यपर्यायात्मकं वस्तु प्रमेयम्, इति तु समीचीनं लक्षणं सर्वसंग्राहकत्वात् ।</span> = <span class="HindiText">द्रव्य-पर्यायरूप वस्तु ही प्रमेय है। यही प्रमेय का लक्षण सर्व संग्राहक होने से समीचीन है ।</span><br /> | ||
<span class="GRef"> न्यायदर्शन सूत्र/ </span>वृ.1/11 <span class="SanskritText">योऽर्थः प्रमीयते तत्प्रमेयं ।</span> =<span class="HindiText">जो वस्तु जाँची जावे उसे प्रमेय कहते हैं । </span></p> | |||
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Revision as of 13:01, 14 October 2020
स्याद्वादमंजरी/10/110/26 द्रव्यपर्यायात्मकं वस्तु प्रमेयम्, इति तु समीचीनं लक्षणं सर्वसंग्राहकत्वात् । = द्रव्य-पर्यायरूप वस्तु ही प्रमेय है। यही प्रमेय का लक्षण सर्व संग्राहक होने से समीचीन है ।
न्यायदर्शन सूत्र/ वृ.1/11 योऽर्थः प्रमीयते तत्प्रमेयं । =जो वस्तु जाँची जावे उसे प्रमेय कहते हैं ।