विक्षेप: Difference between revisions
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<p><span class="GRef"> न्यायदर्शन सूत्र/ </span>मू./5/2/19 <span class="SanskritText">कार्यव्यासंगात्कथाविच्छेदो विक्षेपः। </span>= <span class="HindiText">जहाँ प्रतिवादी यों कहकर समाधान के समय को टाल देवे कि ‘मुझे इस समय कुछ आवश्यक काम है, उसे करके पीछे शास्त्रार्थ करूँगा’ तो इस प्रकार के कथाविक्षेप रूप निग्रहस्थान का नाम विक्षेप है। (<span class="GRef"> श्लोकवार्तिक/4/1/13/ </span>न्या/363/421/7) (<strong>नोट–</strong><span class="GRef"> श्लोकवार्तिक </span>में इसका निषेध किया गया है) </span></p> | <p><span class="GRef"> न्यायदर्शन सूत्र/ </span>मू./5/2/19 <span class="SanskritText">कार्यव्यासंगात्कथाविच्छेदो विक्षेपः। </span>= <span class="HindiText">जहाँ प्रतिवादी यों कहकर समाधान के समय को टाल देवे कि ‘मुझे इस समय कुछ आवश्यक काम है, उसे करके पीछे शास्त्रार्थ करूँगा’ तो इस प्रकार के कथाविक्षेप रूप निग्रहस्थान का नाम विक्षेप है। (<span class="GRef"> श्लोकवार्तिक/4/1/13/ </span>न्या/363/421/7) (<strong>नोट–</strong><span class="GRef"> श्लोकवार्तिक </span>में इसका निषेध किया गया है) </span></p> | ||
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<p> तालगत गांधर्व के बाईस भेदों में तीसरा भेद । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 19.150 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> तालगत गांधर्व के बाईस भेदों में तीसरा भेद । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 19.150 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
न्यायदर्शन सूत्र/ मू./5/2/19 कार्यव्यासंगात्कथाविच्छेदो विक्षेपः। = जहाँ प्रतिवादी यों कहकर समाधान के समय को टाल देवे कि ‘मुझे इस समय कुछ आवश्यक काम है, उसे करके पीछे शास्त्रार्थ करूँगा’ तो इस प्रकार के कथाविक्षेप रूप निग्रहस्थान का नाम विक्षेप है। ( श्लोकवार्तिक/4/1/13/ न्या/363/421/7) (नोट– श्लोकवार्तिक में इसका निषेध किया गया है)
पुराणकोष से
तालगत गांधर्व के बाईस भेदों में तीसरा भेद । हरिवंशपुराण 19.150