आनयन: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 17: | Line 17: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> देशव्रत के पाँच अतिचारों में एक अतिचार― मर्यादा के बाहर से वस्तु को मँगवाना । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 58.178 </span></p> | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> देशव्रत के पाँच अतिचारों में एक अतिचार― मर्यादा के बाहर से वस्तु को मँगवाना । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_58#178|हरिवंशपुराण - 58.178]] </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 14:40, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 7/31/369/9
आत्माना संकल्पिते देशे स्थितस्य प्रयोजनवशाद्यत्किंचिदानयेत्याज्ञापनमानयनम्।
= अपने द्वारा संकल्पित देश में ठहरे हुए पुरुष को प्रयोजन वश किसी भी वस्तु के लाने की आज्ञा करना आनयन है।
( राजवार्तिक अध्याय 7/31/1/556)
पुराणकोष से
देशव्रत के पाँच अतिचारों में एक अतिचार― मर्यादा के बाहर से वस्तु को मँगवाना । हरिवंशपुराण - 58.178