कल्पवासी: Difference between revisions
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<p> सौधर्म से अच्छत स्वर्ग पर्यन्त स्वर्गों में रहने वाले वैमानिक देव । मिथ्यात्व से मलिन बाल-तप करने वाले तापसियों के अतिरिक्त अकामनिर्जरा से युक्त बन्धनबद्ध तिर्यंच भी ऐसे देव होते हैं । हरिवंशपुराण 3.133-135, 148</p> | <p> सौधर्म से अच्छत स्वर्ग पर्यन्त स्वर्गों में रहने वाले वैमानिक देव । मिथ्यात्व से मलिन बाल-तप करने वाले तापसियों के अतिरिक्त अकामनिर्जरा से युक्त बन्धनबद्ध तिर्यंच भी ऐसे देव होते हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3.133-135, 148 </span></p> | ||
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Revision as of 21:39, 5 July 2020
सौधर्म से अच्छत स्वर्ग पर्यन्त स्वर्गों में रहने वाले वैमानिक देव । मिथ्यात्व से मलिन बाल-तप करने वाले तापसियों के अतिरिक्त अकामनिर्जरा से युक्त बन्धनबद्ध तिर्यंच भी ऐसे देव होते हैं । हरिवंशपुराण 3.133-135, 148