कुम्भ: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) भगवान् वृषभदेव के द्वितीय गणधर । महापुराण 43.54, हरिवंशपुराण 12.55, 70</p> | <p id="1"> (1) भगवान् वृषभदेव के द्वितीय गणधर । <span class="GRef"> महापुराण 43.54, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 12.55, 70 </span></p> | ||
<p id="2">(2) तीर्थंकर के गर्भ में आने पर गर्भावस्था के समय तीर्थंकर की माता के द्वारा देखे गये सोलह स्वप्नों में नौवें स्वप्न में देखी गयी वस्तु-कलश । पद्मपुराण 21. 12-14</p> | <p id="2">(2) तीर्थंकर के गर्भ में आने पर गर्भावस्था के समय तीर्थंकर की माता के द्वारा देखे गये सोलह स्वप्नों में नौवें स्वप्न में देखी गयी वस्तु-कलश । <span class="GRef"> पद्मपुराण 21. 12-14 </span></p> | ||
<p id="3">(3) मिथिला नगरी का राजा, रानी रक्षिता का पति और तीर्थंकर मल्लिनाथ का जनक । महापुराण 66.32-34, पद्मपुराण 20.55 </p> | <p id="3">(3) मिथिला नगरी का राजा, रानी रक्षिता का पति और तीर्थंकर मल्लिनाथ का जनक । <span class="GRef"> महापुराण 66.32-34, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 20.55 </span></p> | ||
<p id="4">(4) कुम्भकर्ण का पुत्र और रावण का सामन्त । हनुमान् ने इसका युद्ध में सामना किया था । रथनुपुर नगर के राजा इन्द्र विद्याधर को जीतने के लिए यह रावण के पीछे-पीछे गया था । महापुराण 68.430, पद्मपुराण 10.28, 49-50, पद्मपुराण 57.47-48, 62.37</p> | <p id="4">(4) कुम्भकर्ण का पुत्र और रावण का सामन्त । हनुमान् ने इसका युद्ध में सामना किया था । रथनुपुर नगर के राजा इन्द्र विद्याधर को जीतने के लिए यह रावण के पीछे-पीछे गया था । <span class="GRef"> महापुराण 68.430, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 10.28, 49-50, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 57.47-48, 62.37 </span></p> | ||
<p id="5">(5) सिंहपुर नगर का एक राजा । इसे नरमांस अधिक प्रिय था । नगर के | <p id="5">(5) सिंहपुर नगर का एक राजा । इसे नरमांस अधिक प्रिय था । नगर के बच्चे इसके भोजन हेतु मारे जाते थे । दु:खी प्रजा के कारकट नगर भाग आने पर यहाँ भी आकर यह प्रजा को सताने लगा था, अत: डरकर नगर के लोगों ने इसके पास एक गाड़ी भात और एक मनुष्य प्रतिदिन भेजने की व्यवस्था कर दी थी । लोग उस नगर को कुम्भकारकटपुर कहने लगे थे । <span class="GRef"> महापुराण 62.202-213, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 4.119-128 </span></p> | ||
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Revision as of 21:39, 5 July 2020
(1) भगवान् वृषभदेव के द्वितीय गणधर । महापुराण 43.54, हरिवंशपुराण 12.55, 70
(2) तीर्थंकर के गर्भ में आने पर गर्भावस्था के समय तीर्थंकर की माता के द्वारा देखे गये सोलह स्वप्नों में नौवें स्वप्न में देखी गयी वस्तु-कलश । पद्मपुराण 21. 12-14
(3) मिथिला नगरी का राजा, रानी रक्षिता का पति और तीर्थंकर मल्लिनाथ का जनक । महापुराण 66.32-34, पद्मपुराण 20.55
(4) कुम्भकर्ण का पुत्र और रावण का सामन्त । हनुमान् ने इसका युद्ध में सामना किया था । रथनुपुर नगर के राजा इन्द्र विद्याधर को जीतने के लिए यह रावण के पीछे-पीछे गया था । महापुराण 68.430, पद्मपुराण 10.28, 49-50, पद्मपुराण 57.47-48, 62.37
(5) सिंहपुर नगर का एक राजा । इसे नरमांस अधिक प्रिय था । नगर के बच्चे इसके भोजन हेतु मारे जाते थे । दु:खी प्रजा के कारकट नगर भाग आने पर यहाँ भी आकर यह प्रजा को सताने लगा था, अत: डरकर नगर के लोगों ने इसके पास एक गाड़ी भात और एक मनुष्य प्रतिदिन भेजने की व्यवस्था कर दी थी । लोग उस नगर को कुम्भकारकटपुर कहने लगे थे । महापुराण 62.202-213, पांडवपुराण 4.119-128