गृहीशिता: Difference between revisions
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Revision as of 21:40, 5 July 2020
गर्भान्वय की त्रेपन क्रियाओं में बीसवीं तथा दीक्षान्वय की अड़तालीस क्रियाओं में पन्द्रहवीं क्रिया । इस क्रिया में शास्त्रज्ञान और चारित्र से सम्पन्न व्यक्ति गृहस्थाचार्य बनता है और स्वकल्याण करते हुए सामाजिक कर्तव्यों का निर्वाह करता है । महापुराण 38.57, 144-147, 39.73-74