वधपरीषह: Difference between revisions
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<p> बाईस परीषहों में एक परीषह । इसमें शरीर में नि:स्पृहभाव रखते हुए पीड़ा, मारण आदि जनित वेदना सहन करनी होती है । मुनि इसे निष्कलेश-भाव से सहते हैं । महापुराण 36.121</p> | <p> बाईस परीषहों में एक परीषह । इसमें शरीर में नि:स्पृहभाव रखते हुए पीड़ा, मारण आदि जनित वेदना सहन करनी होती है । मुनि इसे निष्कलेश-भाव से सहते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 36.121 </span></p> | ||
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Revision as of 21:46, 5 July 2020
बाईस परीषहों में एक परीषह । इसमें शरीर में नि:स्पृहभाव रखते हुए पीड़ा, मारण आदि जनित वेदना सहन करनी होती है । मुनि इसे निष्कलेश-भाव से सहते हैं । महापुराण 36.121