वनगिरि: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) भरतक्षेत्र का एक पर्वत । भरतक्षेत्र में रत्नपुर नगर के राजा प्रजापति ने अपने पुत्र चंद्रचूल को किसी वैश्य कन्या को बलपूर्वक अपने अधीन करने के अपराध में प्राणदंड दिया था । मंत्री स्वयं दंड देने की राजा से अनुमति लेकर राजकुमार के साथ इसी पर्वत पर आया था और यहाँ मंत्री ने महाबल मुनि से राजकुमार का आगामी तीसरे भव में नारायण होना जानकर उसे संयम धारण करा दिया था । <span class="GRef"> महापुराण 67.10-121 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) भरतक्षेत्र का एक पर्वत । भरतक्षेत्र में रत्नपुर नगर के राजा प्रजापति ने अपने पुत्र चंद्रचूल को किसी वैश्य कन्या को बलपूर्वक अपने अधीन करने के अपराध में प्राणदंड दिया था । मंत्री स्वयं दंड देने की राजा से अनुमति लेकर राजकुमार के साथ इसी पर्वत पर आया था और यहाँ मंत्री ने महाबल मुनि से राजकुमार का आगामी तीसरे भव में नारायण होना जानकर उसे संयम धारण करा दिया था । <span class="GRef"> महापुराण 67.10-121 </span></p> | ||
<p id="2">(2) भीलराज हरिविक्रम द्वारा कपित्थ वन के दिशागिरि पर्वत पर बसाया गया एक नगर । <span class="GRef"> महापुराण 75.478-479 </span></p> | <p id="2">(2) भीलराज हरिविक्रम द्वारा कपित्थ वन के दिशागिरि पर्वत पर बसाया गया एक नगर । <span class="GRef"> महापुराण 75.478-479 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
(1) भरतक्षेत्र का एक पर्वत । भरतक्षेत्र में रत्नपुर नगर के राजा प्रजापति ने अपने पुत्र चंद्रचूल को किसी वैश्य कन्या को बलपूर्वक अपने अधीन करने के अपराध में प्राणदंड दिया था । मंत्री स्वयं दंड देने की राजा से अनुमति लेकर राजकुमार के साथ इसी पर्वत पर आया था और यहाँ मंत्री ने महाबल मुनि से राजकुमार का आगामी तीसरे भव में नारायण होना जानकर उसे संयम धारण करा दिया था । महापुराण 67.10-121
(2) भीलराज हरिविक्रम द्वारा कपित्थ वन के दिशागिरि पर्वत पर बसाया गया एक नगर । महापुराण 75.478-479