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<p id="1"> (1) ग्यारह अंग और दशपूर्व के ज्ञाता ग्यारह मुनियों में प्रथम मुनि । <span class="GRef"> महापुराण 2. 143-145 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1. 62, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 1. 13, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1.45-47 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) ग्यारह अंग और दशपूर्व के ज्ञाता ग्यारह मुनियों में प्रथम मुनि । <span class="GRef"> महापुराण 2. 143-145 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1. 62, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 1. 13, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 1.45-47 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
(1) ग्यारह अंग और दशपूर्व के ज्ञाता ग्यारह मुनियों में प्रथम मुनि । महापुराण 2. 143-145 हरिवंशपुराण 1. 62, पांडवपुराण 1. 13, वीरवर्द्धमान चरित्र 1.45-47
(2) तीर्थंकर मल्लिनाथ के प्रथम गणधर । महापुराण 66.50
(3) साकेत का नृप । इसने अनंतनाथ तीर्थंकर को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । महापुराण 60.33-34