काकिणी
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
चक्रवर्ती के चौदह रत्नों में से एक रत्न –देखें शलाका पुरूष - 2.7।
पुराणकोष से
चक्रवती के चौदह रत्नों में एक रत्न । यह सूर्य के समान प्रकाश एव ताप से युक्त होता है । शिलापट्ट आदि पर लेख आदि अंकित करने के लिए प्राचीन काल में इसका व्यवहार किया जाता था । महापुराण 32.15, 141, 37.85-85 हरिवंशपुराण 11.27