द्वीप क्षेत्र पर्वत आदि का विस्तार
From जैनकोष
- द्वीप क्षेत्र पर्वत आदि का विस्तार
- द्वीप सागरों का सामान्य विस्तार
- जम्बूद्वीप का विस्तार १००,००० योजन है। तत्पश्चात् सभी समुद्र व द्वीप उत्तरोत्तर दुगुने-दुगुने विस्तारयुक्त हैं। (त.सू./३/८); (ति.प./५/३२)
- जम्बूद्वीप का विस्तार १००,००० योजन है। तत्पश्चात् सभी समुद्र व द्वीप उत्तरोत्तर दुगुने-दुगुने विस्तारयुक्त हैं। (त.सू./३/८); (ति.प./५/३२)
- लवणसागर व उसके पातालादि
- सागर
- द्वीप सागरों का सामान्य विस्तार
सं. |
स्थलविशेष |
विस्तारादि में क्या |
प्रमाण योजन |
|
दृष्टि सं.१–(ति.प./४/२४००-२४०७); (रा.वा./३/३२/३/१९३/८); (ह.पु./५/४३४); (त्रि.सा./९१५); (ज.प./१०/२२)। |
|
|
१ |
पृथिवीतल पर |
विस्तार |
२००,००० |
२ |
किनारों से ९५००० योजन भीतर जाने पर तल में |
विस्तार |
१०,००० |
३ |
किनारों से ९५००० योजन भीतर जाने पर आकाश में |
विस्तार |
१०,००० |
४ |
किनारों से ९५००० योजन भीतर जाने पर आकाश में |
गहराई |
१००० |
५ |
किनारों से ९५००० योजन भीतर जाने पर आकाश में |
ऊँचाई |
७०० |
|
दृष्टि सं.२– |
|
|
६ |
लोग्गायणी के अनुसार उपरोक्त प्रकार आकाश में अवस्थित (ति.प./४/२४४५); (ह.पु./५/४३४)। |
ऊँचाई |
११००० |
|
दृष्टि सं.३— |
|
|
७ |
सग्गायणी के अनुसार उपरोक्त प्रकार आकाश में अवस्थित (ति.प./४/२४४८)। |
ऊँचाई |
१०,००० |
८ |
तीनों दृष्टियों से उपरोक्त प्रकार आकाश में पूर्णिमा के दिन |
ऊँचाई |
देखें - लोक / ४ / १ |
- पाताल
पाताल विशेष |
विस्तार योजन |
गहराई |
दीवारों की मोटाई |
ति.प./४/गा. |
रा.वा./ ३/३२/ ४/१३३/पृ. |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
ज.प./१०/गा. |
||
मूल में |
मध्य में |
ऊपर |
||||||||
ज्येष्ठ |
१०,००० |
१००,००० |
१०,००० |
१००,००० |
५०० |
२४१२ |
१४ |
४४४ |
८१६ |
५ |
मध्यम |
१००० |
१०,००० |
१००० |
१०,००० |
५० |
२४१४ |
२६ |
४५१ |
८१६ |
१३ |
जघन्य |
१०० |
१००० |
१०० |
१००० |
५ |
२४३३ |
३१ |
४५६ |
८१६ |
१२ |
- अढाई द्वीप के क्षेत्रों का विस्तार
- जम्बू द्वीप के क्षेत्र
नाम |
विस्तार (योजन) |
जीवा |
पार्श्व भुजा (योजन) |
प्रमाण |
||||
दक्षिण |
उत्तर (योजन) |
ति.प./४/गा.नं. |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
ज.प./अ./गा. |
|||
भरत सामान्य |
५२६ |
अपने अपने पर्वतों को उत्तर जीवा |
१४४७१ |
धनुष पृष्ठ |
१०५+१९२ |
१८+४० |
६०४+७७१ |
२/१० |
दक्षिण भरत |
२३८ |
९७४८ |
धनुष पृष्ठ |
१८४ |
|
|
|
|
उत्तर भरत |
२३८ |
१४४७१ |
१८१२ |
१९१ |
|
|
|
|
हैमवत् |
२१०५ |
३७६७४ |
६७५५ |
१६९८ |
५७ |
७७३ |
|
|
हरिवर्ष |
८४२१ |
७३९० |
१३३६१ |
१७३९ |
७४ |
७७५ |
३/२२८ |
|
विदेह |
३३६८४ |
मध्य में १००,००० उत्तर व दक्षिण में पर्वतों की जीवा |
३३७६७ |
१७७५ |
९१ |
६०५+७७७ |
७/३ |
|
रम्यक |
— |
हरिवर्षकवत् |
— |
२३३५ |
९७ |
७७८ |
२/२०८ |
|
हैरण्यवत् |
— |
हैमवतवत् |
— |
२३५० |
९७ |
७७८ |
२/२०८ |
|
ऐरावत |
— |
भरतवत् |
— |
२३६५ |
९७ |
७७८ |
२/२०८ |
|
देवकुरु व उत्तर कुरु– |
|
|
|
|
|
|
|
|
दृष्टि सं.१ |
११५९२ |
५३००० |
६०४१८ |
२१४० |
|
|
|
|
दृष्टि सं.२ |
११५९२ |
५२००० |
६०४१८ |
२१२९ |
|
|
|
|
दृष्टि सं.३ |
११८४२ |
५३००० |
६०४१८ |
× |
१६८ |
× |
६/२ |
|
—— (रा.वा./३/१०/१३/१७४/३) —— |
||||||||
३२ विदेह |
पूर्वापर २२१२ |
दक्षिण-उत्तर १६५९२ |
|
२२७१+२२३१ |
१ २५३ |
६०५ |
७/११+२० |
|
—— (रा.वा./३/१०/१३/१७६/१८) —— |
- धातकीखण्ड के क्षेत्र
नाम |
लम्बाई |
विस्तार |
प्रमाण |
||||
अभ्यन्तर (योजन) |
मध्यम (योजन) |
बाह्य (योजन) |
|||||
भरत |
द्वीप के विस्तारवत् |
६६१४ |
१२५८१ |
१८५४७ |
(ति.प./४/२५६४-२५७२); (रा.वा./३/३३/२-७/१९२/२); (ह.नु./५/५०२-५०४) ; (त्रि.सा.९२९); (ज.प./११/६-१७) |
||
हैमवत |
२६४५८ |
५०३२४ |
७४१९० |
||||
हरिवर्ष |
१०५८३३ |
२०१२२९८ |
२९६७६३ |
||||
विदेह |
४२३३३४ |
८०५१९४ |
११८७०५४ |
||||
रम्यक |
— |
हरिवर्षवत् |
— |
||||
हैरण्यवत् |
— |
हैमवतवत् |
— |
||||
ऐरावत |
— |
भरतवत् |
— |
||||
नाम |
|
बाण |
जीवा |
धनुषपृष्ठ |
ति.प./४/गा. |
ह.पु./५/श्लो. |
|
दोनों कुरु |
|
३६६६८० |
२२३१५८ |
९२५४८६ |
२५९३ |
५३५ |
नाम |
पूर्व पश्चिम विस्तार |
दक्षिण-उत्तर लम्बाई (योजन) |
ति.प./४/गा. |
||
आदि |
मध्यम |
अन्तिम |
|||
दोनों बाह्य विदेह के क्षेत्र—(ति.प./४/गा.सं.); (ह.पु./५/५४८-५४९); (त्रि.सा./९३१-९३३) |
|||||
कच्छा-गन्धमालिनी |
प्रत्येक क्षेत्र=९७३ यो० = (ति.प./४/२६०७) |
५०९५७० |
५१४१५४ |
५१८७३८ |
२६२२ |
सुकच्छा-गन्धिला |
५१९६९३ |
५२४२७७ |
५२८८६१ |
२६३४ |
|
महाकच्छा-सुगन्धा |
५२९१०० |
५३३६८४ |
५३८२६८ |
२६३८ |
|
कच्छकावती-गन्धा |
५३९२२२ |
५४३८०६ |
५४८३९० |
२६४२ |
|
आवर्ता-वप्रकावती |
५४८६२९ |
५५३२१३ |
५५७७९७ |
२६४६ |
|
लांगलावती-महावप्रा |
५५८७५१ |
५६३३३५ |
५६७९१९ |
२६५० |
|
पुष्कला-सुवप्रा |
५६८१५८ |
५७२७४२ |
५७७३२६ |
२६५६ |
|
वप्रा-पुष्कलावती |
५७८२८० |
५८२८६४ |
५८७४४८ |
२६५८ |
|
दोनों अभ्यन्तर विदेहों के क्षेत्र——(ति.प./४/गा.सं.); (ह.पु./५/५५५); (त्रि.सा./९३१-९३३) |
|||||
पद्मा-मंगलावती |
प्रत्येक क्षेत्र = ६९३ (ति.प./४/२६०७) |
२९४६२३ |
२९००३९ |
२८५४५५ |
२६७० |
सुपद्मा-रमणीया |
२८४५०१ |
२७९९१७ |
२७५३३३ |
२६७४ |
|
महापद्मा-सुरम्या |
२७५०९४ |
२७०५१० |
२६५९२६ |
२६७८ |
|
पद्मकावती-रम्या |
२६४९७२ |
२६०३८८ |
२५५८०४ |
२६८२ |
|
शंखा-वत्सकावती |
२५५५६५ |
२५०९८१ |
२४६३९७ |
२६८६ |
|
नलिना-महावत्सा |
२४५४४३ |
२४०८५९ |
२३६२७५ |
२६९० |
|
कुमुदा-महावत्सा |
२३६०३६ |
२३१४५२ |
२२६८६८ |
२६९४ |
|
सरिता-वत्सा |
२२५९१४ |
२२१३३० |
२१६७४६ |
२६९८ |
- पुष्करार्ध के क्षेत्र
नाम |
लम्बाई |
विस्तार |
प्रमाण |
|||||
अभ्यन्तर (योजन) |
मध्यम (योजन) |
बाह्य (योजन) |
||||||
भरत |
द्वीप के विस्तारवत् |
४१५७९<img src="JSKHtmlSample_clip_image002_0026.gif" alt="" width="19" height="30" /> |
५३५१२<img src="JSKHtmlSample_clip_image004_0009.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
६५४४६<img src="JSKHtmlSample_clip_image006_0005.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
(ति.प./४/२८०५-२८१७); (रा.वा./३/३४/२-५/१९६/१९); (ह.पु./५/५८०-५८४); (ज.प./११/६७-७२) |
|||
हैमवत |
१६६३१९<img src="JSKHtmlSample_clip_image008_0006.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२१४०५१<img src="JSKHtmlSample_clip_image010_0007.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२६१७८४<img src="JSKHtmlSample_clip_image012_0005.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
|||||
हरि |
६६५२७७<img src="JSKHtmlSample_clip_image014_0004.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
८५६२०७<img src="JSKHtmlSample_clip_image016_0004.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१०४७१३६<img src="JSKHtmlSample_clip_image018_0004.gif" alt="" width="19" height="30" /> |
|||||
विदेह |
२६६११०८<img src="JSKHtmlSample_clip_image020_0004.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
३४२४८२८<img src="JSKHtmlSample_clip_image022_0004.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
४१८८५४७<img src="JSKHtmlSample_clip_image024_0004.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
|||||
रम्यक |
६६५२७७<img src="JSKHtmlSample_clip_image014_0005.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
५३५१२<img src="JSKHtmlSample_clip_image004_0010.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
६५४४६<img src="JSKHtmlSample_clip_image006_0006.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
|||||
हैरण्यवत् |
१६६३१९<img src="JSKHtmlSample_clip_image008_0007.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२१४०५१<img src="JSKHtmlSample_clip_image010_0008.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२६१७८४<img src="JSKHtmlSample_clip_image012_0006.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
|||||
ऐरावत |
४१५७९<img src="JSKHtmlSample_clip_image026_0010.gif" alt="" width="19" height="30" /> |
८५६२०७<img src="JSKHtmlSample_clip_image016_0005.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१०४७१३६<img src="JSKHtmlSample_clip_image018_0005.gif" alt="" width="19" height="30" /> |
|||||
नाम |
|
बाण |
जीवा |
धनुषपृष्ठ |
प्रमाण |
|||
दोनो कुरु |
|
१४८६९३१ |
४३६९१६ |
३६६८३३५ |
उपरोक्त |
|||
नाम |
पूर्व पश्चिम विस्तार |
दक्षिण उत्तर लम्बाई |
ति.प./४/गा. |
|||||
आदिम |
मध्यम |
अन्तिम |
||||||
दोनों बाह्य विदेहों के क्षेत्र—(ति.प./४/गा.नं.); (त्रि.सा./९३१-९३३) |
||||||||
कच्छा-गन्धमालिनी |
|
१९२१८७४<img src="JSKHtmlSample_clip_image028_0010.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१९३१३२२<img src="JSKHtmlSample_clip_image030_0006.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१९४०७७०<img src="JSKHtmlSample_clip_image032_0003.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२८३७ |
|||
सुकच्छा-गन्धिला |
|
१९४२६७९<img src="JSKHtmlSample_clip_image024_0005.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१९५२१२८<img src="JSKHtmlSample_clip_image034.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१९६१५७६<img src="JSKHtmlSample_clip_image036.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२८४८ |
|||
महाकच्छा-सुगन्धा |
|
१९६२०५३<img src="JSKHtmlSample_clip_image038.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१९७१५०२ |
१९८०९५०<img src="JSKHtmlSample_clip_image008_0008.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२८५२ |
|||
कच्छकावती-गन्धा |
|
१९८२८५९<img src="JSKHtmlSample_clip_image040.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१९९२३०७<img src="JSKHtmlSample_clip_image042.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२००१७५५<img src="JSKHtmlSample_clip_image024_0006.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२८५६ |
|||
आवर्ता-वप्रकावती |
|
२००२२३३<img src="JSKHtmlSample_clip_image044.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२०११६८१<img src="JSKHtmlSample_clip_image046.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२०२११२९<img src="JSKHtmlSample_clip_image038_0000.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२८६० |
|||
लांगलावती-महावप्रा |
|
२०२३०३८<img src="JSKHtmlSample_clip_image048.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२०३२४८७<img src="JSKHtmlSample_clip_image050.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२०४१९३५<img src="JSKHtmlSample_clip_image040_0000.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२८६४ |
|||
पुष्कला-सुवप्रा |
|
२०४२४१२<img src="JSKHtmlSample_clip_image052.gif" alt="" width="19" height="30" /> |
२०५१८६०<img src="JSKHtmlSample_clip_image054.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२०६१३०९<img src="JSKHtmlSample_clip_image044_0000.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२८६८ |
|||
वप्रा-पुष्कलावती |
|
२०६३२१८<img src="JSKHtmlSample_clip_image056.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२०७२६६६<img src="JSKHtmlSample_clip_image058.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२०८२१४<img src="JSKHtmlSample_clip_image048_0000.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२८७२ |
|||
दोनों अभ्यन्तर विदेहों के क्षेत्र—(ति.प./४/गा.); (त्रि.सा./९३१-९३३) |
||||||||
पद्मा-मंगलावती |
|
१५००९५३<img src="JSKHtmlSample_clip_image060.gif" alt="" width="20" height="30" /> |
१४९१५०५<img src="JSKHtmlSample_clip_image062.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१८४२०५७<img src="JSKHtmlSample_clip_image064.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२८८० |
|||
सुपद्मा-रमणीया |
|
१४८०१४८<img src="JSKHtmlSample_clip_image066.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१४७०७००<img src="JSKHtmlSample_clip_image068.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१४६१२५१<img src="JSKHtmlSample_clip_image070.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२८८४ |
|||
महापद्मा-सुरम्या |
|
१४६०७७४<img src="JSKHtmlSample_clip_image072.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१४५१३२६<img src="JSKHtmlSample_clip_image020_0005.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१४४१८७७<img src="JSKHtmlSample_clip_image060_0000.gif" alt="" width="20" height="30" /> |
२८८८ |
|||
रम्या-पद्मकावती |
|
१४३९९६८<img src="JSKHtmlSample_clip_image074.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१४३०५२०<img src="JSKHtmlSample_clip_image076.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१४२१०७२<img src="JSKHtmlSample_clip_image078.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२८९२ |
|||
शंखा-वप्रकावती |
|
१४२०५९५<img src="JSKHtmlSample_clip_image016_0006.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१४१११४६<img src="JSKHtmlSample_clip_image010_0009.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१४०१६९८<img src="JSKHtmlSample_clip_image072_0000.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२८९६ |
|||
महावप्रा-नलिना |
|
१३९९७८९<img src="JSKHtmlSample_clip_image080.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१३९०३४१<img src="JSKHtmlSample_clip_image082.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१३८०८९२<img src="JSKHtmlSample_clip_image074_0000.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२९०० |
|||
कुमुदा-सुवप्रा |
|
१३८०४१५<img src="JSKHtmlSample_clip_image084.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१३७०९६७<img src="JSKHtmlSample_clip_image086.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१३६१५१९<img src="JSKHtmlSample_clip_image016_0007.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२९०४ |
|||
सरिता-वप्रा |
|
१३५९६०९<img src="JSKHtmlSample_clip_image088.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१३५०१६१<img src="JSKHtmlSample_clip_image090.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
१३४०७१३<img src="JSKHtmlSample_clip_image080_0000.gif" alt="" width="18" height="30" /> |
२९०८ |
- जम्बू द्वीप के पर्वतों व कूटों का विस्तार
- लम्बे पर्वत
नोट—पर्वतों की नींव सर्वत्र ऊँचाई से चौथाई होती हैं। (ह.पु./५/५०६); (त्रि.सा./९२६); (ज.प./३/३७)।
- लम्बे पर्वत
नाम |
ऊँचाई |
नींव योजन |
विस्तार योजन |
दक्षिण जीवा यो० |
उत्तर जीवा योजन |
पार्श्व भुजा योजन |
प्रमाण |
||||
ति.प./४/गा. |
रा.वा./३/-/-/-/ |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
ज.प./अ/गा. |
|||||||
कुलाचल– |
हिमवान् |
१०० |
ऊँचाई से चौथाई<img src="JSKHtmlSample_clip_image003_0002.gif" alt="→ऊँचाई से चौथाई←" width="13" height="22" /> | १०५२ |
अपने अपने क्षेत्र की उत्तर जीवा<img src="JSKHtmlSample_clip_image003_0003.gif" alt="→अपने अपने क्षेत्र की उत्तर जीवा←" width="13" height="22" /> | २४९३२ |
५३५० |
१६२४ |
११/२/१८२/११ |
४५ |
७७२ |
३/४ |
महाहिमवान् |
२०० |
४२१० |
५३९३१ |
९२७६ |
१७१७ |
११/४/१८२/३२ |
६३ |
७७४ |
३/१७ |
||
निषध |
४०० |
१६८४२ |
९४१५६ |
२०१६५ |
१७५० |
११/६/१४३/१२ |
८० |
७७६ |
३/२४ |
||
नील |
—<img src="JSKHtmlSample_clip_image002_0027.gif" alt="" width="13" height="22" /> |
— |
निषधवत् |
— |
२३२७ |
११/८/१८३/२४ |
९७ |
७७६ |
३/२४ |
||
रुक्मि |
—<img src="JSKHtmlSample_clip_image002_0028.gif" alt="" width="13" height="22" /> |
— |
महाहिमवानवत् |
— |
२३४० |
११/१०/१८३/३१ |
९७ |
७७६ |
३/१७ |
||
शिखरी |
—<img src="JSKHtmlSample_clip_image002_0029.gif" alt="" width="13" height="22" /> |
— |
हिमवानवत् |
|
२३५५ |
|
९७ |
|
३/४ |
||
भरत क्षेत्र– |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
||
विजयार्ध |
२५ |
५० |
१०७२० |
४८८ |
१०८+१८३ |
१०/४/१७१/१६ |
२१/३२ |
७७० |
२/३३ |
||
गुफा |
८ यो० |
१२ यो० |
|
|
१७५ |
१०/४/१७१/२८ |
|
५९२ |
२/८८ |
||
विदेह विजयार्ध |
२५ |
५० |
२२१२ |
५० |
२२५७ |
१०/१३/२७६/२० |
२२५ |
|
७/७० |
नाम |
स्थल विशेष |
ऊँचाई |
गहराई यो० | चौड़ाई योजन |
लम्बाई योजन |
ति.प./४/गा. |
रा.वा./३/१०/१३/.../... |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
ज.प./अ./गा. |
वक्षार |
सामान्य |
— |
ऊँचाई से चौथाई<img src="JSKHtmlSample_clip_image003_0000.gif" alt="→ऊँचाई से चौथाई←" width="13" height="22" /> |
|
१६५९२ |
२२३१ |
१७६/३ |
|
६०५,७४३ |
७/८ |
|
नदी के पास |
५०० |
५०० |
|
२३०७ |
१७६/१ |
२३३ |
७४५ |
७/१८ |
|
|
पर्वत के पास |
४०० |
५०० |
|
२३०७ |
१७६/१ |
२३३ |
७४५ |
७/१८ |
|
गजदन्त |
सामान्य |
|
|
३०२०९ |
२०२४ |
|
२१५ |
७५६ |
९/७ |
|
दृष्टि सं.१ |
कुलाचलों के पास |
४०० |
५०० |
|
२०१७ |
|
२१३ |
७४५ |
९/३ |
|
|
मेरु के पास |
५०० |
५०० |
|
|
|
२१३ |
७५६ |
९/६ |
|
दृष्टि सं.२ |
कुलाचलों के पास |
४०० |
५०० |
|
२०२७ |
१७३/१९ |
|
|
|
|
|
मेरु के पास |
५०० |
५०० |
|
२०२७ |
१७३/१९ |
|
|
|
- गोल पर्वत—
नाम |
ऊँचाई योजन |
गहराई |
विस्तार योजन |
ति.प./४/गा. |
रा.वा./३/१० वा./पृ./पं. |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
ज.प./अ./गा. |
||
मूल में |
मध्य में |
ऊपर |
||||||||
वृषभगिरि |
१०० |
|
१०० |
७५ |
५० |
२७० |
|
|
७१० |
|
नाभिगिरि— |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
दृष्टि सं.१ |
१००० |
|
१००० |
१००० |
१००० |
१७०४ |
७/१८२/१२ |
|
७१८ |
३/२१० |
दृष्टि सं.२ |
१००० |
|
१००० |
७५० |
५०० |
१७०६ |
|
|
|
|
सुमेरु— |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
पर्वत |
९९००० |
१००० |
१०,००० |
देखें - लोक / ३ / ६ / १ |
१००० |
१७८१ |
७/१७७/३२ |
२८३ |
६०६ |
४/२२ |
चूलिका |
४० |
× |
१२ |
८ |
४ |
१७९५ |
७/१८०/१४ |
३०२ |
६२० |
४/१३२ |
यमक— |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
दृष्टि सं.१ |
२००० |
|
१००० |
७५० |
५०० |
२०७७ |
|
|
|
|
दृष्टि सं.२ |
१००० |
|
१००० |
७५० |
५०० |
|
७/१७४/२६ |
१९३ |
६५५ |
६/१६ |
कांचनगिरि |
१०० |
|
१०० |
७५ |
५० |
२०९४ |
७/१७५/१ |
|
६५९ |
६/४५ |
दिग्गजेन्द्र |
१०० |
|
१०० |
७५ |
५० |
२१०४, २११३ |
|
|
६६१ |
४/७६ |
- पर्वतीय व अन्य कूट—
कूटों के विस्तार सम्बन्धी सामान्य नियम—सभी कूटों का मूल विस्तार अपनी ऊँचाई का अर्धप्रमाण है : ऊपरी विस्तार उससे आधा है। उनकी ऊँचाई अपने-अपने पर्वतों की गहराई के समान है।
अवस्थान |
ऊँचाई योजन |
विस्तार योजन |
ति.प./४/ गा. |
रा.वा./३/सू. वा./पृ./प. |
ह.पु./५/ गा. |
त्रि.सा./गा. |
ज.प./अ. /गा. |
|||
मूल में |
मध्य में |
ऊपर |
||||||||
भरत विजयार्ध |
६ |
६ |
|
|
१४९ |
|
२८ |
७२३ |
३/४६ |
|
ऐरावत विजयार्ध |
— |
भरत विजयार्धवत् |
— |
|
|
११२ |
७२३ |
३/४६ |
||
हिमवान् |
२५ |
२५ |
१८ |
१२ |
१६३३ |
|
५५ |
७२३ |
३/४६ |
|
महाहिमवान् |
— |
हिमवान् से दुगुना |
— |
१७२५ |
|
७२ |
७२३ |
३/४६ |
||
निषध |
— |
हिमवान् से चौगुना |
— |
१७५९ |
|
९० |
७२३ |
३/४६ |
||
नील |
— |
निषधवत् |
— |
२३२७ |
|
१०१ |
७२३ |
३/४६ |
||
रुक्मि |
— |
महाहिमवान्वत् |
— |
२३४० |
|
१०४ |
७२३ |
३/४६ |
||
शिखरी |
— |
हिमवान्वत् |
— |
२३५५ |
|
१०५ |
७२३ |
३/४६ |
||
हिमवान् का सिद्धायतन |
५०० |
५०० |
३७५ |
२५० |
|
११/२/१८२/१६ |
|
× |
× |
|
शेष पर्वत |
— |
हिमवान् के समान |
— |
|
|
|
|
|
||
(रा.वा./३/११/४/१८३/५;६/१८३/१८;८/१८३/२५;१०/१८३/३२;१२/१८४/५) |
||||||||||
चारों गजदन्त |
पर्वत से चौथाई |
उपरोक्त नियमानुसार जानना |
२०३२, २०४८, २०५८, २०६० |
१०/१३/१७३/२३ |
२२४ |
२७६ |
|
|||
पद्मद्रह |
— |
हिमवान् पर्वतवत् |
— |
|
|
|
|
|
||
अन्यद्रह |
— |
अपने-अपने पर्वतोंवत् |
— |
|
|
|
|
|
||
भद्रशालवन |
— |
( देखें - लोक / ३ / १ २१५ |
— |
|
|
|
|
|
||
नन्दनवन |
५०० |
५०० |
३७५ |
२५० |
१९९७ |
|
३३१ |
६२६ |
|
|
सौमनसवन |
२५० |
२५० |
१८७ |
१२५ |
१९७१ |
|
|
|
|
|
नन्दनवन का बलभद्रकूट |
— |
( देखें - लोक / २ / ६ ,२) |
— |
१९९७ |
|
|
|
|
||
सौमनसवन का बलभद्र कूट |
— |
( देखें - लोक / ३ / ६ ,३) |
— |
|
|
|
|
|
||
दृष्टि सं.१ |
१०० |
१०० |
७५ |
५० |
१९७८ |
|
|
|
|
|
दृष्टि सं.२ |
१००० |
१००० |
७५० |
५०० |
१९८० |
(१०/१३/१७९/१६) |
|
|
|
- नदी कुण्ड द्वीप व पाण्डुक शिला आदि—
अवस्थान |
ऊँचाई |
गहराई |
विस्तार |
ति.प./४/गा. |
रा.वा./३/२२/ वा./पृ./पं. |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
ज.प./अ./गा. |
||||
नदी कुण्डों के द्वीप– |
|
|
|
|
|
|
|
|
||||
गंगाकुण्ड |
२ कोस |
१० योजन |
८ योजन |
२२१ |
१/१८७/२६ |
१४३ |
५८७ |
३/१६५ |
||||
सिन्धुकुण्ड |
— |
गंगावत् |
— |
|
२/१८७/३२ |
|
|
|
||||
शेष कुण्डयुगल |
२ कोस |
१० योजन |
उत्तरोत्तर दूना |
|
३-१४/१८८-१८९ |
|
|
|
||||
विस्तार |
||||||||||||
मूल |
मध्य |
ऊपर |
||||||||||
गंगा कुण्ड |
१० योजन |
४ यो. |
२ यो. |
१ यो. |
२२२ |
|
१४४ |
|
३/१६५ |
|||
|
|
लम्बाई |
चौड़ाई |
|
|
|
|
|
||||
पाण्डुकशिला– |
|
|
|
|
|
|
|
|
||||
दृष्टि सं.१ |
८ योजन |
१०० योजन |
५० योजन |
१८१९ |
|
३४९ |
६३५ |
|
||||
दृष्टि सं.२ |
४ योजन |
५०० योजन |
२५० योजन |
१८२१ |
१८०/२० |
|
|
४/१४२ |
||||
|
|
विस्तार |
|
|
|
|
|
|||||
|
|
मूल |
मध्य |
ऊपर |
|
|
|
|
|
|||
पाण्डुक शिला के सिंहासन व आसन |
५०० धनुष |
५०० ध. |
२७५ ध. |
२५० ध. |
|
|
|
|
|
- अढ़ाई द्वीपों की सर्व वेदियाँ—
वेदियों के विस्तार सम्बन्धी सामान्य नियम—देवारण्यक व भूतारण्यक वनों के अतिरिक्त सभी कुण्डों, नदियों, वनों, नगरों, चैत्यालयों आदि की वेदियाँ समान होती हुई निम्न विस्तार-सामान्यवाली हैं। (ति.प./४/२३८८-२३९१); (ज.प./१/६०-६९)
अवस्थान |
ऊँचाई |
गहराई |
विस्तार |
ति.प./४/गा. |
रा.वा./३/सू./ वा./पृ./पं. |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
ज.प./अ./गा. |
|||
सामान्य |
१/२ योजन |
ऊँचाई से चौथाई |
५०० धनुष |
२३९० |
|
११९ |
|
१/६९ |
|||
भूतारण्यक |
१ योजन |
ऊँचाई से चौथाई |
१००० धनुष |
२३९१ |
|
|
|
|
|||
देवारण्यक |
१ योजन |
ऊँचाई से चौथाई |
१००० धनुष |
|
|
|
|
|
|||
हिमवान् |
— |
सामान्य वेदीवत् — |
१६२९ |
|
|
|
|
||||
पद्मद्रह |
— |
सामान्य वेदीवत् — |
|
१५/-/१८५/१ |
|
|
|
||||
शाल्मली वृक्षस्थल |
— |
सामान्य वेदीवत् — |
२१६८ |
|
|
|
|
||||
गजदन्त |
— |
भूतारण्यक वत् — |
२१००,२१२८ |
|
|
|
|
||||
भद्रशालवन |
— |
भूतारण्यक वत् — |
२००६ |
|
|
|
|
||||
धातकीखण्ड की सर्व |
— |
उपरोक्त वत् — |
|
|
५११ |
|
|
||||
पुष्करार्ध की सर्व |
— |
उपरोक्त वत् — |
|
|
|
|
|
||||
इष्वाकार |
— |
सामान्य वत् — |
२५३५ |
|
|
|
|
||||
मानुषोत्तर की– |
|
|
|
|
|
|
|
||||
तट वेदी |
— |
सामान्य वत् १ को. — |
२७५४ |
|
|
|
|
||||
शिखर वेदी |
४००० |
|
|
|
|
|
|
||||
जम्बूद्वीप की जगती |
|
गहराई |
विस्तार |
|
|
|
|
|
|||
|
|
१/२यो. |
मूल |
मध्य |
ऊपर |
|
|
|
|
|
|
|
८ योजन |
१२यो. |
८ यो. |
४ यो. |
१५-२७ |
९/१/३७०/२६ |
३७८ |
८८५ |
१/२६ |
||
|
|
प्रवेश |
आयाम |
|
|
|
|
|
|||
जगती के द्वार— |
|
|
|
|
|
|
|
|
|||
दृष्टि सं.१ |
८ योजन |
४ योजन |
४ योजन |
४३ |
|
|
|
|
|||
दृष्टि सं.२ |
७५० योजन |
× |
५०० योजन |
७३ |
|
|
|
|
|||
लवणसागर |
— |
जम्बूद्वीप की जगती वत् — |
|
|
|
|
|
- शेष द्वीपों के पर्वतों व कुटों विस्तार—
- धातकीखण्ड के पर्वत—
नाम |
ऊँचाई |
गहराई |
विस्तार |
ति.प./४/ गा. |
रा.वा./३/३३/ वा./पृ./पं. |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
ज.प./अ./गा. |
||||
पर्वतों के विस्तार व ऊँचाई सम्बन्धी सामान्य नियम— |
||||||||||||
कुलाचल |
जम्बूद्वीपवत् |
स्वदीपवत् |
जम्बूद्वीप से दूना |
२५४४-२५४६ |
५/१९५/२० |
४९७,५०९ |
|
|
||||
विजयार्ध |
जम्बूद्वीपवत् |
निम्नोक्त |
जम्बूद्वीप से दूना |
२५४४-२५४६ |
५/१९५/२० |
४९७,५०९ |
|
|
||||
वक्षार |
जम्बूद्वीपवत् |
निम्नोक्त |
जम्बूद्वीप से दूना |
२५४४-२५४६ |
५/१९५/२० |
४९७,५०९ |
|
|
||||
गजदन्त दृष्टि सं.१ |
जम्बूद्वीपवत् |
निम्नोक्त |
जम्बूद्वीप से दूना |
२५४४-२५४६ |
५/१९५/२० |
४९७,५०९ |
|
|
||||
दृष्टि सं.२ |
— |
जम्बूद्वीपवत् |
— |
२५४७ |
|
|
|
|
||||
उपरोक्त सर्व पर्वत- |
— |
जम्बूद्वीप से दूना |
— |
|
|
|
|
|
||||
वृषभगिरि |
— |
जम्बूद्वीपवत् |
— |
|
|
५११ |
|
|
||||
यमक |
— |
जम्बूद्वीपवत् |
— |
|
|
५११ |
|
|
||||
कांचन |
— |
जम्बूद्वीपवत् |
— |
|
|
५११ |
|
|
||||
दिग्गजेन्द्र |
— |
जम्बूद्वीपवत् |
— |
|
|
५११ |
|
|
||||
|
|
विस्तार |
|
|
|
|
|
|||||
दक्षिण उत्तर |
पूर्व पश्चिम |
|||||||||||
इष्वाकार |
४०० योजन |
स्वद्वीपवत् |
१००० योजन |
२५३३ |
६/१९५/२६ |
४९५ |
९२५ |
११/४ |
||||
विजयार्ध |
जम्बूद्वीपवत् |
जम्बूद्वीप से दूना |
स्वक्षेत्रवत् |
२६०७ + उपरोक्त सामान्य नियमवत् |
|
|
||||||
वक्षार |
जम्बूद्वीपवत् |
निम्नोक्त |
जम्बूद्वीप से दूना |
४०८ + उपरोक्त सामान्य नियमवत् |
|
|
||||||
गजदन्त— |
|
|
|
|
|
|
|
|
||||
अभ्यन्तर |
जम्बूद्वीपवत् |
२५६२२७ |
जम्बूद्वीप से दूना |
२५९१ |
|
५३३ |
७५६ |
|
||||
बाह्य |
जम्बूद्वीपवत् |
५६९२५७ |
जम्बूद्वीप से दूना |
२५९२ |
|
५३४ |
७५६ |
|
||||
|
|
गहराई |
विस्तार |
|
|
|
|
|
||||
सुमेरु पर्वत— |
|
१००० |
मूल |
मध्य |
ऊपर |
|
|
|
|
|
||
पृथिवी पर |
८४००० |
९४००० |
देखें - लोक / ३ / ६ / ३ |
१००० |
२५७७ |
६/१९५/२८ |
५१३ |
|
११/१८ |
|||
पाताल में |
दृष्टि सं.१ की अपेक्षा विस्तार = १०,००० |
२५७७ |
|
५१३ |
|
|
||||||
चूलिका |
— जम्बूद्वीप के मेरुवत् — |
|
|
|
|
|
नाम |
ऊँचाई व चौड़ाई |
दक्षिण उत्तर विस्तार |
ति.प./४/गा. |
|
||
आदिम |
मध्यम |
अन्तिम |
||||
दोनों बाह्य विदेहों के वक्षार— |
देखें - पूर्वोक्त सामान्य नियम |
|
|
|
|
त्रि.सा./९३१-९३३ |
चित्र व देवमाल कूट |
५१८७३८ |
५१९२१६ |
५१९६९३ |
२६३२ |
||
नलिन व नागकूट |
५३८२६८ |
५३८७४५ |
५३९२२२ |
२६४० |
||
पद्म व सूर्यकूट |
५५७७९७ |
५५८२७४ |
५५८७५१ |
२६४८ |
||
एकशैल व चन्द्रनाग |
५७७३२६ |
५७७८०३ |
५७८२८० |
२६५६ |
||
दोनों अभ्यन्तर विदेहों के वक्षार |
|
|
|
|
||
श्रद्धावान् व आत्मांजन |
२८५४५५ |
२८४९७८ |
२८४५०१ |
२६७२ |
||
अंजन व विजयवान् |
२६५९२६ |
२६५४४९ |
२६४९७२ |
२६८० |
||
आशीविष व वैश्रवण |
२४६३९७ |
२४५९२० |
२४५४४३ |
२६८८ |
||
सुखावह व त्रिकूट |
२२६८६८ |
२२६३९१ |
२२५९१४ |
२६९६ |
- पुष्कर द्वीप के पर्वत व कूट
नाम |
ऊँचाई यो० |
लम्बाई यो० |
विस्तार यो० |
ति.प./४/ गा. |
रा.वा./३/३४/ वा./पृ./पं. |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
ज.प./अ./गा. |
||||||||
पर्वतों के विस्तार व ऊँचाई सम्बन्धी सामान्य नियम |
||||||||||||||||
कुलाचल |
जम्बूद्वीपवत् |
स्वद्वीप प्रमाण |
जम्बूद्वीप से चौगुना |
२७८९-२७९० |
५/१९७/२ |
५८८-५८९ |
|
|
||||||||
विजयार्ध |
जम्बूद्वीपवत् |
निम्नोक्त |
जम्बूद्वीप से चौगुना |
२७८९ |
|
५८८ |
|
|
||||||||
वक्षार |
जम्बूद्वीपवत् |
निम्नोक्त |
जम्बूद्वीप से चौगुना |
२७८९ |
|
५८८ |
|
|
||||||||
गजदन्त |
जम्बूद्वीपवत् |
निम्नोक्त |
जम्बूद्वीप से चौगुना |
२७८९ |
|
५८८ |
|
|
||||||||
नाभिगिरि |
जम्बूद्वीपवत् |
निम्नोक्त |
जम्बूद्वीप से चौगुना |
२७८९ |
|
५८८ |
|
|
||||||||
उपरोक्त सर्वपर्वत |
|
|
|
|
|
|
|
|
||||||||
दृष्टि सं.२ |
— |
जम्बूद्वीपवत् |
— |
२७९१ |
|
|
|
|
||||||||
वृषभगिरि |
— |
जम्बूद्वीपवत् |
— |
|
|
|
|
|
||||||||
यमक |
— |
जम्बूद्वीपवत् |
— |
|
|
|
|
|
||||||||
कांचन |
— |
जम्बूद्वीपवत् |
— |
|
|
|
|
|
||||||||
दिग्गजेन्द्र |
— |
जम्बूद्वीपवत् — |
|
|
|
|
|
|||||||||
मेरु व इष्वाकार |
— |
धातकीवत् — |
|
|
|
|
|
|||||||||
विस्तार |
||||||||||||||||
दक्षिण उत्तर यो० |
पूर्व पश्चिम यो० |
|||||||||||||||
विजयार्ध |
उपरोक्त |
उपरोक्त नियम |
स्वक्षेत्र वत् |
२८२६ |
+ उपरोक्त सामान्य नियम |
|
||||||||||
वक्षार |
जंबूद्वीपवत् |
निम्नोक्त |
जंबूद्वीप से चौगुना |
२८२७ |
+ उपरोक्त सामान्य नियम |
|
||||||||||
गजदन्त— |
|
|
|
|
|
|
|
|
||||||||
अभ्यन्तर |
जंबूद्वीपवत् |
१६२६११६ |
जंबूद्वीप से चौगुना |
२८१३ |
|
|
२५७ |
|
||||||||
बाह्य |
जंबूद्वीपवत् |
२०४२२१९ |
जंबूद्वीप से चौगुना |
२८१४ |
|
|
२५७ |
|
||||||||
|
|
विस्तार |
|
|
|
|
|
|||||||||
|
|
गहराई |
मूल |
मध्य |
ऊपर |
|
|
|
|
|
||||||
मानुषोत्तरपर्वत |
१७२१ |
चौथाई |
१०२२ |
७२३ |
४२४ |
२७४९ |
६/१९७/८ |
५९१ |
९३४०+९४२ |
११/५९ |
||||||
मानुषोत्तर के कूट– |
लोक/६/४/३ में कथित नियमानुसार |
|
|
|
|
|
||||||||||
दृष्टि सं.१ |
४३० |
|
४३० |
|
२१५ |
|
|
|
|
|
||||||
दृष्टि सं.२ |
५०० |
|
५०० |
३७५ |
२५० |
|
६/१९७/१६ |
६०० |
|
|
नाम |
ऊँचाई व चौड़ाई |
विस्तार |
ति.प./४/गा. |
|
|||||
आदिम |
मध्यम |
अन्तिम |
|||||||
दोनों बाह्य विदेहों के वक्षार— |
|||||||||
चित्रकूट व देवमाल |
देखें - पूर्वोक्त सामान्य नियम |
१९४०७७० |
१९४१७२५ |
१९४२६७९ |
२८४६ |
त्रि.सा./९३१-९३३ |
|||
पद्म व वैडूर्य कूट |
१९८०९५० |
१९८१९०४ |
१९८२८५९ |
२८५४ |
|||||
नलिन व नागकूट |
२०२११२९ |
२०२२०८४ |
२०२३०३८ |
२८६२ |
|||||
एक शैल व चन्द्रनाग |
२०६१३०९ |
२०६२२६३ |
२०६३२१८ |
२८७० |
|||||
दोनों अभ्यन्तर विदेहों के वक्षार— |
|||||||||
श्रद्धावान् व आत्मांजन |
देखें - पूर्वोक्त सामान्य नियम |
१४८२०५७ |
१४८११०२ |
१४८०१४८ |
२८८२ |
त्रि.सा./९३१-९३३ |
|||
अंजन व विजयावान |
१४४१८७७ |
१४४०९२३ |
१४३९९६८ |
२८९० |
|||||
आशीर्विष व वैश्रवण |
१४०१६९८ |
१४००७४३ |
१३९९७८९ |
२८९८ |
|||||
सुखावह व त्रिकूट |
१३६१५१९ |
१३६०५६४ |
१३५९६०९ |
२९०६ |
- नन्दीश्वर द्वीप के पर्वत
नाम |
ऊँचाई यो० |
गहराई यो० |
विस्तार |
ति.प./५/ गा. |
रा.वा./३/३५/ -/पृ./पं. |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
||
मूल |
मध्य |
ऊपर |
|||||||
अंजनगिरि |
८४००० |
१००० |
८४००० |
८४००० |
८४००० |
५८ |
१९८/८ |
६५२ |
९६८ |
दधिमुख |
१०,००० |
१००० |
१०,००० |
१०,००० |
१०,००० |
६५ |
१९८/२५ |
६७० |
९६८ |
रतिकर |
१००० |
२५० |
१००० |
१००० |
१००० |
६८ |
१९८/३१ |
६७४ |
९६८ |
- कुण्डलवर पर्वत व उसके कूट
नाम |
ऊँचाई यो० |
गहराई यो० |
विस्तार |
ति.प./५/ गा. |
रा.वा./३/३५/ -/पृ./पं. |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
||
मूल |
मध्य |
ऊपर |
|||||||
पर्वत— |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
दृष्टि सं.१ |
७५००० |
१००० |
१०२२० |
७२३० |
४२४० |
११८ |
१९९/८ |
६८७ |
९४३ |
दृष्टि सं.२ |
४२००० |
१००० |
— |
मानुषोत्तरवत् |
— |
१३० |
|
|
|
इसके कूट |
— |
मानुषोत्तर के दृष्टि सं. २ वत् |
— |
१२४,१३१ |
१९९/१२ |
|
९६० |
||
द्वीप के स्वामी |
— |
सर्वत्र उपरोक्त से दूने |
— |
१३७ |
|
६९७ |
|
||
देवों के कूट |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
- रुचकवर पर्वत व उसके कूट—
नाम |
ऊँचाई यो० |
गहराई यो० |
विस्तार |
ति.प./५/ गा. |
रा.वा./३/३५/ -/पृ./पं. |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
||
मूल |
मध्य |
ऊपर |
|||||||
पर्वत— |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
दृष्टि सं.१ |
८४००० |
१००० |
८४००० |
८४००० |
८४००० |
१४२ |
|
|
९४३ |
दृष्टि सं.२ |
८४००० |
१००० |
४२००० |
४२००० |
४२००० |
|
१९९/२३ |
७०० |
|
इसके कूट— |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
दृष्टि सं.१ |
— |
मानुषोत्तर की दृष्टि सं.२ वत् |
— |
१४६ |
|
|
९६० |
||
दृष्टि सं.२ |
५०० |
|
१००० |
७५० |
५०० |
१४६,१७१ |
२००/२० |
७०१ |
|
३२ कूट |
५०० |
|
१००० |
१००० |
१००० |
|
१९९/२५ |
|
|
- स्वयंभूरमण पर्वत
नाम |
ऊँचाई यो० |
गहराई यो० |
विस्तार |
ति.प./५/ गा. |
रा.वा./३/३५/ -/पृ./पं. |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
||
मूल |
मध्य |
ऊपर |
|||||||
पर्वत— |
|
१००० |
|
|
|
२३९ |
|
|
|
- अढ़ाई द्वीप के वनखण्डों का विस्तार
- जम्बूद्वीप के वनखण्ड
नाम |
विस्तार |
ति.प./४/ गा. |
रा.वा./३/१८/१३/पृ. |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
ज.प./अ./गा. |
|
जम्बूद्वीप जगती के अभ्यन्तर भाग में |
२ को० |
८७ |
|
|
|
|
|
विजयार्ध के दोनों पार्श्वों में |
२ को० |
१७१ |
|
|
|
|
|
हिमवान् के दोनों पार्श्वों में |
२ को० |
१६३० |
|
११५ |
७३० |
|
|
नाम |
विस्तार |
|
|
|
|
|
|
पूर्वापर |
उत्तर दक्षिण |
||||||
देवारण्यक |
२९२२ यो० |
१६५९२ यो० |
२२२० |
१७७/२ |
२८२ |
|
७/१५ |
भूतारण्यक |
— देवारण्यकवत् — |
|
|
|
|
|
नाम |
विस्तार |
ति.प./४/ गा. |
रा.वा./३/१०/१३/पृ./पं. |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
ज.प./अ./गा. |
||
मेरु के पूर्व या पश्चिम में |
मेरु के उत्तर या दक्षिण में |
उत्तर दक्षिण कुल विस्तार |
||||||
भद्रशाल |
२२००० यो० |
२५० यो० |
यो०विदेहक्षेत्रवत् |
२००२ |
१७८/३ |
२३७ |
६१०+६१२ |
४/४३ |
वलय व्यास |
बाह्य व्यास |
अभ्यन्तर व्यास |
||||||
नन्दनवन |
५०० यो० |
९९५४ यो० |
८९५४ यो० |
११८९ |
१७९/७ |
२९० |
६१० |
४/८२ |
सौमनसवन |
५०० यो० |
४२७२ यो० |
३२७२ यो० |
१९३८+१९८६ |
१८०/१ |
२९६ |
६१० |
४/१२७ |
पाण्डुकवन |
४९४ यो० |
१००० यो० |
|
१८१०+१८१४ |
१८०/१२ |
३०० |
६१० |
४/१३१ |
- धातकीखण्ड के वनखण्ड
सामान्य नियम—सर्व वन जम्बूद्वीप वालों से दूने विस्तार वाले हैं। (ह.पु./५/५०९)
नाम |
पूर्वापर विस्तार यो० |
उत्तर दक्षिण विस्तार |
ति.प./४/गा. |
रा.वा./३/३३/ ६/पृ./पं. |
ह.पु./५/गा. |
||
आदिम यो० |
मध्यम यो० |
अन्तिम यो० |
|||||
बाह्य |
५८४४ |
५८७४४८ |
५९०२३८ |
५९३०२७ |
२६०९+२६६० |
|
|
अभ्यन्तर |
५८४४ |
२१६७४६ |
२१३९५६ |
२१११६७ |
२६०९+२७०० |
|
|
मेरु से पूर्व या पश्चिम |
मेरु के उत्तर या दक्षिण में |
उत्तर दक्षिण कुल विस्तार |
|||||
|
१०७८७९ |
नष्ट |
१२२५ |
|
२५२८ |
|
५३१ |
वलयव्यास |
बाह्यव्यास |
अभ्यन्तरव्यास |
|||||
नन्दन |
५०० |
९३५० |
८३५० |
|
|
१९५/३१ |
५२० |
सौमनस |
५०० |
३८०० |
२८०० |
|
|
१९६/१ |
५२४ |
पाण्डुक |
४९४ |
१००० |
१२ चूलिका |
|
|
|
५२७ |
- पुष्करार्ध द्वीप के वनखण्ड
नाम |
पूर्वापर विस्तार |
उत्तर दक्षिण विस्तार |
ति.प./४/गा. |
||
आदिम |
मध्यम |
अन्तिम |
|||
देवारण्यक— |
|
|
|
|
|
बाह्य |
११६८८ |
२०८२११४ |
२०८७६९३ |
२०९३२७२ |
२८२८+२८७४ |
अभ्यन्तर |
११६८८ |
१३४०७१३ |
१३३५१३४ |
१३२९५५५ |
२८२८+२९१० |
मेरु से पूर्व या पश्चिम |
मेरु के उत्तर या दक्षिण में |
उत्तर दक्षिण कुल विस्तार |
|
ति.प./४/गा. |
|
भद्रशाल |
२१५७५८ |
नष्ट |
२४५१ |
|
२८२१ |
नन्दन आदि वन |
— |
धातकीखण्डवत् |
— |
( देखें - लोक / ४ / ४ ,४) |
|
- नन्दीश्वरद्वीप के वन
वापियों के चारों ओर वनखण्ड हैं, जिनका विस्तार (१००,०००×५०,०००) योजन है।
- अढ़ाई द्वीप की नदियों का विस्तार
- जम्बूद्वीप की नदियाँ
- धातकीखण्ड की नदियाँ
- पुष्करद्वीप की नदियाँ
- मध्यलोक की वापियों व कुण्डों का विस्तार
- जम्बूद्वीप सम्बन्धी—
- अन्य द्वीप सम्बन्धी
- अढाई द्वीप के कमलों का विस्तार
नाम |
स्थल विशेष |
चौड़ाई |
गहराई |
ऊँचाई |
ति.प./४/गा. |
रा.वा./३/२२-वा./पृ./पं. |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
ज.प./अ./गा. |
|||
नदियों के विस्तार व गहराई आदि सम्बन्धी सामान्य नियम–भरत व ऐरावत क्षेत्र की नदियों का विस्तार प्रारम्भ ६ यो० और अन्त में उससे दसगुणा होता है। आगे-आगे के क्षेत्रों में विदेह पर्यन्त वह प्रमाण दुगुना-दुगुना होता गया है। (त्रि.सा./६००); (ज.प./३/१९४)। नदियों का विस्तार उनकी गहराई से ५० गुना होता है। (ह.पु./५/५०७)। |
||||||||||||
वृषभाकार प्रणाली— |
||||||||||||
गंगा-सिन्धु |
हिमवान् |
६ यो० |
२ को.प्रवेश |
२ को.प्रवेश |
२१४ |
|
१४० |
५८४ |
३/१५० |
|||
आगे के नदी युगल |
विदेह तक उत्तरोत्तर दुगुने |
|
|
|
१५१ |
५९९ |
३/१५२ |
|||||
|
ऐरावत तक उत्तरोत्तर आधे |
|
|
|
१५९ |
५९९ |
३/१५३ |
|||||
गंगा— |
उद्गम |
६ यो० |
१/२ को० |
|
१९७ |
|
१३६ |
६०० |
३/१९४ |
|||
|
पर्वत से गिरने वाली धार |
|
|
पर्वत की ऊँचाई |
२१३ |
|
|
५८६ |
|
|||
|
दृष्टि सं.१ |
१० |
|
पर्वत की ऊँचाई |
|
|
|
|
|
|||
|
दृष्टि सं.२ |
२५ |
|
पर्वत की ऊँचाई |
२१७ |
|
|
|
३/१६८ |
|||
|
गुफा द्वार पर |
८ यो० |
|
|
२३६ |
|
१४८ |
|
७/९३ |
|||
|
समुद्र प्रवेश पर |
६२ यो |
|
५ को० |
२४६ |
१/१८७/२९ |
१४९ |
६०० |
३/१७७ |
|||
सिन्धु |
— गंगानदीवत् — |
२५२ |
२/१८७/३२ |
१५१ |
६०० |
३/१९४ |
||||||
रोहितास्या |
— गंगा से दूना — |
१६९६ |
३/१८८/९ |
१५१ |
५९९ |
३/१८० |
||||||
रोहित |
— रोहितास्यावत् — |
१७३७ |
४/१८८/१७ |
१५१ |
५९९ |
३/१८० |
||||||
हरिकान्ता |
— रोहित से दुगुना — |
१७४८ |
५/१८८/२१ |
१५१ |
५९९ |
३/१८१ |
||||||
हरित |
— हरिकान्तावत् — |
१७७३ |
६/१८८/२९ |
१५१ |
५९९ |
३/१८१ |
||||||
सीतोदा |
— हरिकान्ता से दूना — |
२०७४ |
७/१८८/३३ |
१५१ |
५९९ |
३/१८२ |
||||||
सीता |
— सीतोदावत् — |
२१२२ |
८/१८९/९ |
१५१ |
५९९ |
३/१८२ |
||||||
उत्तर की छ: नदियाँ |
— क्रम से हरितादिवत् — |
|
९-२४/१८९ |
१५९ |
|
|
||||||
विदेह की ६४ नदियाँ |
— गंगानदीवत् — |
— |
( देखें - लोक / ३ / १ ०) |
|
|
— |
||||||
विभंगा |
कुण्ड के पास |
५० को० |
१६५९२ |
|
२२१८ |
|
|
६०५ |
|
|||
|
महानदी के पास |
५०० को० |
|
|
२२१९ |
|
|
|
|
|||
|
दृष्टि सं.२ |
|
|
३/१०/१३/-१७६/१३ |
|
|
७/२७ |
नाम |
पूर्व पश्चिम |
उत्तर दक्षिण लम्बाई |
ति.प./४/गा. |
||||||
आदिम |
मध्यम |
अन्तिम |
|||||||
सामान्य नियम—सर्व नदियाँ जम्बूद्वीप से दुगुने विस्तार वाली हैं। (ति.प./४/२५४६) |
|||||||||
दोनों बाह्य विदेहों की विभंगा— |
|||||||||
द्रहवती व ऊर्मिमालिनी |
सर्वत्र २५० यो० (ति.प./४/२६०८) |
५२८८६१ |
५२८९८० |
५२९१०० |
२६३६ |
||||
ग्रहवती व फेनमालिनी |
५४८३९० |
५४८५०९ |
५४८६२९ |
२६४४ |
|||||
गम्भीरमालिनी व पंकावती |
५६७९१९ |
५६८०३८ |
५६८१५८ |
२६५२ |
|||||
दोनों अभ्यन्तर विदेहों की विभंगा— |
|||||||||
क्षीरोदा व उन्मत्तजला |
सर्वत्र २५० यो० (ति.प./४/२६०८) |
२७५३३३ |
२७५२१४ |
२७५०९४ |
२६७६ |
||||
मत्तजला व सीतोदा |
२५५८०४ |
२५५६८५ |
२५५५६५ |
२६८४ |
|||||
तप्तजला व औषधवाहिनी |
२३६२७५ |
२३६१५६ |
२३६०३६ |
२६९२ |
नाम |
उत्तर दक्षिण लम्बाई |
ति.प./४/गा. |
|||||
आदिम |
मध्यम |
अन्तिम |
|||||
सामान्य नियम—सर्व नदियाँ जम्बूद्वीप वाली से चौगुने विस्तार युक्त है। (ति.प./४/२७८८) |
|||||||
दोनों बाह्य विदेहों की विभंगा— |
|||||||
द्रहवती व ऊर्मिमालिनी |
१९६१५७६ |
१९६१८१५ |
१९६२०५३ |
२८५० |
|||
ग्रहवती व फेनमालिनी |
२००१७५५ |
२००१९९४ |
२००२२३३ |
२८५८ |
|||
गम्भीरमालिनी व पंकावती |
२०४१९३५ |
२०४२१७४ |
२०४२४१२ |
२८६६ |
|||
दोनों अभ्यन्तर विदेहों की विभंगा— |
|||||||
क्षीरोदा व उन्मत्तजला |
१४६१२५१ |
१४६१०१३ |
१४६०७७४ |
२८८६ |
|||
मत्तजला व सीतोदा |
१४२१०७२ |
१४२०८३३ |
१४२०५९५ |
२८९४ |
|||
तप्तजला व अन्तर्वाहिनी |
१३८०८९२ |
१३८०६५४ |
१३८०४१५ |
२९०२ |
नाम |
लम्बाई |
चौड़ाई |
गहराई |
ति.प./४/गा. |
रा.वा./३/सू./ वा./पृ./पं. |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
ज.प./अ./गा. |
||||
सामान्य नियम—सरोवरों का विस्तार अपनी गहराई से ५० गुना है (ह.पु./५/५०७) द्रहों की लम्बाई अपने-अपने पर्वतों की ऊँचाई से १० गुनी है, चौड़ाई ५ गुनी और गहराई दसवें भाग है। (त्रि.सा./५६८); (ज.प./३/७१) |
||||||||||||
जम्बूद्वीप जगती के मूलावाली— |
||||||||||||
उत्कृष्ट |
२०० ध. |
१०० ध. |
२० ध. |
२३ |
|
|
|
|
||||
मध्यम |
१५० ध. |
७५ ध. |
१५ ध. |
२३ |
|
|
|
|
||||
जघन्य |
१०० ध. |
५० ध. |
१० ध. |
२३ |
|
|
|
|
||||
पद्मद्रह |
१००० ध. |
५०० ध. |
१० |
१६५८ |
(त.सू./३/१५-१६) |
१२६ |
|
|
||||
महापद्म |
— पद्म से दुगुना — |
१७२७ |
|
१२९ |
|
|
||||||
तिगिंच्छ |
— पद्म से चौगुना — |
१७६१ |
|
१२९ |
देखें - उपरोक्त सामान्य नियम |
देखें - उपरोक्त सामान्य नियम |
||||||
केसरी |
— तिगिंछवत् — |
२३२३ |
|
१२९ |
||||||||
पुण्डरीक |
— महापद्मवत् — |
२३४४ |
|
१२९ |
||||||||
महापुण्डरीक |
— पद्मवत् — |
२३५५ |
|
१२९ |
||||||||
देवकुरु के द्रह |
— पद्मद्रहवत् — |
२०९० |
१०/१३/१७४/३० |
१९५ |
६५६ |
६/५७ |
||||||
उत्तरकुरु के द्रह |
— देवकुरुवत् — |
२१२६ |
|
|
|
|
||||||
नन्दनवन की वापियाँ |
५० यो० |
२५ यो० |
१० यो० |
|
|
|
|
|
||||
सौमनसवन की वापियाँ |
|
|
|
|
|
|
|
|
||||
दृष्टि सं.१ |
२५ यो० |
२५ यो० |
५ यो० |
१९४७ |
|
|
|
|
||||
दृष्टि सं.२ |
— |
नन्दनवत् |
— |
|
१०/१३/१८०/७ |
|
|
|
||||
गंगा कुण्ड— |
गोलाई का व्यास |
गहराई |
|
|
|
|
|
|||||
दृष्टि सं.१ |
१० यो० |
१० यो० |
२१६+२२१ |
|
|
|
|
|||||
दृष्टि सं.२ |
६० यो० |
१० यो० |
२१८ |
२२/१/१८७/२५ |
१४२ |
५८७ |
|
|||||
दृष्टि सं.३ |
६२ यो० |
१० |
२१९ |
|
|
|
|
|||||
सिन्धुकुण्ड |
— गंगाकुण्डवत् — |
|
२२/५/१८७/३२ |
|
|
|
||||||
आगे सीतासीतोदा तक |
— उत्तरोत्तर दुगुना — |
|
२२/३-८/१८९ |
|
|
|
||||||
आगे रक्तारक्तोदा तक |
— उत्तरोत्तर आधा — |
|
२२/९-१४/१८९ |
|
|
|
||||||
३२ विदेहों की नदियों के कुण्ड |
६३ यो० |
१० यो० |
|
१०/१३/१७६/२४ |
|
|
|
|||||
विभंगा के कुण्ड |
१२० यो० |
१० यो० |
|
१०/१३/१७६/१० |
|
|
|
नाम |
लम्बाई |
चौड़ाई |
गहराई |
ति.प./५/गा. |
रा.वा./३/सू./ वा./पृ./पं. |
ह.पु./५/गा. |
त्रि.सा./गा. |
ज.प./अ./गा. |
धातकीखण्ड के पद्म आदि द्रह |
— जम्बूद्वीप से दूने — |
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३३/५/१९५/२३ |
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नन्दीश्वरद्वीप की वापियाँ |
१००,००० |
१००,००० |
१००० |
६० |
३५/-/१९८/११ |
६५७ |
९७१ |
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नाम |
ऊँचाई या विस्तार |
कमल सामान्य को० |
नाल को० |
मृणाल को० |
पत्ता को० |
कणिका को० |
ति.प./४/ गा. |
रा.वा./३/ १७/-/१८५/ पंक्ति |
ह.पु./५ /गा. |
त्रि.सा./ गा. |
ज.प./ अ./गा. |
पद्म द्रह का |
ऊँचाई— |
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मूल कमल |
दृष्टि सं.१ |
४ |
*४२ |
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१ |
१६६७ |
|
१२८ |
५७०-५७१ |
६/७४ |
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दृष्टि सं.२ |
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|
|
२ |
२ |
१६७० |
८,९ |
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विस्तार— |
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दृष्टि सं.१ |
४ या २ |
१ |
३ |
× |
१ |
१६६७ १६६९ |
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५७०-५७१ |
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|
दृष्टि सं.२ |
४ |
१ |
३ |
१ |
२ |
१६६७+१६७० |
८ |
१२८ |
|
३/७४ |
नोट—*जल के भीतर १० योजन या ४० कोस तथा ऊपर दो कोस (रा.वा./-/१८५/९); (ह.पु./५/१२८); (त्रि.सा./५७१); (ज.प./३/७४) |
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परिवार कमल |
— सर्वत्र उपरोक्त से आधा — |
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१६ |
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आगे तिगिंछ द्रह तक |
— उत्तरोत्तर दूना — |
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त.सू./३/१८ |
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३/१२७ |
|||||
केसरी आदि द्रह के |
— तिगिंछ आदि वत् — |
|
त.सू./३/२६ |
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हिमवान् पर |
ऊँचाई |
१ जल के ऊपर |
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१ |
२०६ |
२२/२/१८८/३ |
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३/७४ |
कमलाकार कूट |
विस्तार |
२ |
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१/२ |
१ |
२५४ |
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धातकीखंड के |
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— जम्बूद्वीप वालों से दूने — (रा.वा./३/३३/५/१९५/२३) |
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