जघन्य सिंहनिष्क्रीडित
From जैनकोष
एक व्रत । इसमें उपवास और पारणाओं का क्रम निम्न प्रकार रहता है―
उपवास पारणा
1 1
2 1
1 1
2 1
1 1
3 1
2 1
4 1
3 1
5 1
4 1
5 1
5 1
4 1
5 1
3 1
4 1
2 1
3 1
1 1
2 1
1 1
कुल 60 10 हरिवंशपुराण 34.78