घोष प्रायोगिक शब्द
From जैनकोष
सर्वार्थसिद्धि/5/24/294-295/12 शब्दो द्विविधो भाषालक्षणो विपरीतश्चेति।...अभाषात्मनो द्विविध: प्रायोगिकी वैस्रसिकश्चेति। प्रायोगिकश्चतुर्धा ततविततघनसौषिरभेदात् ।
= भाषारूप शब्द और अभाषारूप शब्द इस प्रकार शब्दों के दो भेद हैं।...अभाषात्मक शब्द दो प्रकार के हैं-प्रायोगिक और वैस्रसिक।...तथा तत, वितत, घन और सौषिर के भेद से प्रायोगिक शब्द चार प्रकार है।
धवला 13/5,5,26/221/6 छव्विहो तद-विदद-घण-सुसिर-घोस-भास भेएण।
= वह छह प्रकार है-तत, वितत, घन, सुषिर, घोष और भाषा।
देखें शब्द ।