विशल्या
From जैनकोष
== सिद्धांतकोष से == पद्मपुराण/64/ श्लो.नं. राजा द्रोणमेध की पुत्री थी।96। पूर्वभव के कठिन तप के प्रभाव से उसके सनन जल में सर्वरोग शांत करने की शक्ति थी।98। रावण की शक्ति के प्रहार से मूर्च्छित लक्ष्मण को इसी ने जीवन दिया था।37-38। इसका विवाह भी लक्ष्मण से हुआ था।80।
पुराणकोष से
राजा द्रोणमेघ की पुत्री । इसके गर्भ में आते ही इसकी मां के रोग दूर हो गये थे । लक्ष्मण के पास इसके पहुँचते ही उसकी लगी हुई शक्ति वक्ष-स्थल से शीघ्र बाहर निकल गयी थी । इससे प्रभावित होकर लक्ष्मण ने युद्ध क्षेत्र में ही इससे विवाह कर लिया था । लंकाविजय के पश्चात् अयोध्या आने पर लक्ष्मण ने इसे पटरानी बनाया था । श्रीधर इसी का पुत्र था । पूर्वभव में यह विदेहक्षेत्र के पुंडरीक देश में चक्रधर-नगर के राजा त्रिभुवनानंद-चक्रवर्ती की पुत्री अनंगशरा थी । इसने मरणकाल में सल्लेखना धारण की थी । अजगर द्वारा खाये जाने पर भी दया-भाव से अजगर को थोड़ी भी पीड़ा नहीं होने दी थी । फलस्वरूप यह मरकर ईशान स्वर्ग में उत्पन्न हुई । वहाँ से चयकर इसने विशल्या के रूप में जन्म लिया । अनंगशरा की पर्याय में किये गये महा-तप के प्रभाव से इसका स्नानजल महागुणों से युक्त हो गया था । पद्मपुराण 64.43-44, 50-51, 91-92, 96-98, 65, 37-38, 80, 94.18-23, 30