अरण्य
From जैनकोष
नियमसार / तात्पर्यवृत्तिगाथा 58 मनुष्यसंचारशून्यं वनस्पतिजातवल्लीगुल्मप्रभृतिभिः परिपूर्ण मरण्यं।
= मनुष्य संचार से शून्य वनस्पति, बेलों व वृक्षादि से परिपूर्ण अरण्य कहलाता है।
नियमसार / तात्पर्यवृत्तिगाथा 58 मनुष्यसंचारशून्यं वनस्पतिजातवल्लीगुल्मप्रभृतिभिः परिपूर्ण मरण्यं।
= मनुष्य संचार से शून्य वनस्पति, बेलों व वृक्षादि से परिपूर्ण अरण्य कहलाता है।