चुलुलित
From जैनकोष
अनगारधर्मामृत/8/111 द्वात्रिंशो वंदने गीत्या दोषः सुललिताह्वयः। इति दोषोज्झिता कार्या वंदना निर्जरार्थिना।111। = पाठ को पंचम स्वर में गा-गाकर बोलना सुललित या चलुलित दोष है। इस प्रकार ये वंदना के 32 दोष कहे।111।
कायोत्सर्ग का एक अतिचार–देखें व्युत्सर्ग - 1।