चतुर्थव्रतभावना
From जैनकोष
ब्रह्मचर्य व्रत की पाँच भावनाए―स्त्री-कथा, स्त्र्यालोक, स्त्री-संसर्ग, प्राग्रतस्मरण और गरिष्ठ तथा उत्तेजक आहार का त्याग । महापुराण 20. 164
ब्रह्मचर्य व्रत की पाँच भावनाए―स्त्री-कथा, स्त्र्यालोक, स्त्री-संसर्ग, प्राग्रतस्मरण और गरिष्ठ तथा उत्तेजक आहार का त्याग । महापुराण 20. 164