स्थितिबंध
From जैनकोष
कर्मबन्ध का एक भेद । ऐसा बन्ध होने पर कर्म अपने काल की मर्यादा तक रहते हैं । यह बन्ध कषाय के निमित्त से होता है । महापुराण 20.254, हरिवंशपुराण 39.2, 58.203, 210, 214
कर्मबन्ध का एक भेद । ऐसा बन्ध होने पर कर्म अपने काल की मर्यादा तक रहते हैं । यह बन्ध कषाय के निमित्त से होता है । महापुराण 20.254, हरिवंशपुराण 39.2, 58.203, 210, 214