स्वहस्तक्रिया
From जैनकोष
आस्रवकारिणी पच्चीस क्रियाओं में एक क्रिया― दूसरे के द्वारा करने योग्य कार्य को स्वयं सम्पादित करना । हरिवंशपुराण 58.74
आस्रवकारिणी पच्चीस क्रियाओं में एक क्रिया― दूसरे के द्वारा करने योग्य कार्य को स्वयं सम्पादित करना । हरिवंशपुराण 58.74