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- जानो धन्य सो धन्य सो धीर वीरा
- जिन के भजन में मगन रहु रे!
- जिन छवि तेरी यह
- जिन छवि लखत यह बुधि भयी
- जिन जपि जिन जपि, जिन जपि जीयरा
- जिन नाम सुमर मन! बावरे! कहा इत उत भटकै
- जिन रागद्वेष त्यागा वह सतगुरु हमारा
- जिन स्वपरहिताहित चीन्हा
- जिनबानी के सुनैसौं मिथ्यात मिटै
- जिनराज चरन मन मति बिसरै
- जिनराज ना विसारो, मति जन्म वादि हारो
- जिनरायके पाय सदा शरनं
- जिनवर-आनन-भान निहारत
- जिनवरमूरत तेरी, शोभा कहिय न जाय
- जिनवानी जान सुजान रे
- जिनवानी प्रानी! जान लै रे
- जिनवैन सुनत, मोरी भूल भगी
- जियको लोभ महा दुखदाई, जाकी शोभा (?)
- जिया तुम चालो अपने देश
- जीव! तू भ्रमत सदीव अकेला
- जीव! तैं मूढ़पना कित पायो
- जीव तू अनादिहीतैं भूल्यौ शिवगैलवा
- जीवन के परिनामनिकी यह
- जे दिन तुम विवेक बिन खोये
- जे सहज होरी के खिलारी
- जेनैन्द्र सिद्धांत कोष
- जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
- जो आज दिन है वो, कल ना रहेगा, कल ना रहेगा
- जो तैं आतमहित नहिं कीना
- ज्ञाता सोई सच्चा वे, जिन आतम अच्चा
- ज्ञान ज्ञेयमाहिं नाहिं, ज्ञेय हू न ज्ञानमाहिं
- ज्ञान सरोवर सोई हो भविजन
- ज्ञानी ऐसी होली मचाई
- ज्ञानी ऐसो ज्ञान विचारै
- ज्ञानी ऐसो ज्ञान विचारै 2
- ज्ञानी जीव निवार भरमतम
- झूठा सपना यह संसार
- तन देख्या अथिर घिनावना
- तुम चेतन हो
- तुम ज्ञानविभव फूली बसन्त, यह मन मधुकर
- तुमको कैसे सुख ह्वै मीत!
- तू काहेको करत रति तनमें
- तू तो समझ समझ रे!
- तू स्वरूप जाने बिना दुखी
- तू ही मेरा साहिब सच्चा सांई
- तेरी भगति बिना धिक है जीवना
- तेरी शांति छवि पे मैं बलि बलि जाऊँ
- तेरी शीतल-शीतल मूरत लख
- तेरी सुन्दर मूरत देख प्रभो
- तेरे ज्ञानावरन दा परदा