अतिबल
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
ऋषभ देव भगवान के पूर्वके दसवें भव में ( महापुराण सर्ग संख्या 5/200 ) महाबल का पिता था ( महापुराण सर्ग संख्या 4/133 )
अंत में दीक्षा धारण कर ली थी |
( महापुराण सर्ग संख्या 4/151-152 )
पुराणकोष से
(1) वृषभदेव के पचहत्तरवें गणधर । हरिवंशपुराण 12.55-70
(2) सूर्यवंशी राजा महाबल का पुत्र और अमृत का जनक । इतने निर्ग्रंथ दीक्षा धारण कर ली थी । पद्मपुराण 5.4-10
(3) तीर्थंकर पद्मप्रभ के पूर्वभव का एक नाम । पद्मपुराण 20.14-24
(4) भविष्यकालीन सातवाँ नारायण । हरिवंश-पुराणकार ने इसे छठा नारायण कहा है । महापुराण 76.487-488, हरिवंशपुराण 60.566-567
(5) साकेत नगर का राजा । इसकी रानी श्रीमती और पुत्री हिरण्यवती थी । पूर्वभव में यह मृगायण नाम का ब्राह्मण था । हरिवंशपुराण 27.61-63
(6) विजयार्द्ध पर्वत की दक्षिण श्रेणी में स्थित धरणीतिलक नगर का राजा । इसकी रानी सुलक्षणा और पुत्री श्रीधरा थी । हरिवंशपुराण 27.77-78
(7) पुंडरीकिणी नगरी के राजा धनंजय और उसकी रानी यशस्वती का पुत्र । महापुराण 7.81-82
(8) हरिविक्रम नामक भीलराज का सेवक । महापुराण 75.478-481
(9) इस नाम का एक असुर । महापुराण 63. 135-136
(10) विजयार्द्ध पर्वत स्थित अलकापुरी का खगेंद्र । इसकी रानी मनोहरा और पुत्र महाबल था । जीवन, यौवन और लक्ष्मी को क्षणभंगुर जानकर इसने अभिषेक पूर्वक समस्त राज्य अपने पुत्र को सौंप दिया और दीक्षा ग्रहण कर ली थी । यह वृषभदेव के दसवें पूर्वभव का जीव था । महापुराण 4.104,122,131-133, 144-152, 5.200
(11) अतिबल का नाती और महाबल का पुत्र । महापुराण 5.226-228