भूमिदान
From जैनकोष
देय विविध वस्तुओं में एक वस्तु-भू-खण्ड । तत्त्व-वेत्ताओं ने प्राणिघात का निमित्त होने से इसे निंद्य कहा है परन्तु जिन-मन्दिर आदि के लिए दिये गये दान को उन्होंने निद्य नहीं कहा अपितु इसे दीर्घकाल तक स्थिर रहनेवाले भोगों का प्रदाता माना है । पद्मपुराण 14. 73-75, 78