काँचनकूट
From जैनकोष
(1) सीता-सीतोदा नदियों के तटों पर स्थित इस नाम के दस पर्वत । इन पर्वतों की ऊँचाई सौ योजन, विस्तार मूल में सौ योजन, मध्य में पचहत्तर योजन और अग्रभाग में पचास योजन है । हरिवंशपुराण 5.200-201(2) रुचकगिरि की पूर्व दिशा में स्थित आठ कूटों में दूसरा कूट । यह वैजयंती देवी की निवासभूमि है । हरिवंशपुराण 5.704-705
(3) सौमनस पर्वत का एक कूट । हरिवंशपुराण 5.221