GP:प्रवचनसार - गाथा 224.2 - तात्पर्य-वृत्ति - हिंदी
From जैनकोष
अब, स्त्रियों के मोक्ष के रोकनेवाली (उनकी) प्रमाद की बहुलता को दिखाते हैं -
[णिच्छयदो ड़त्थीणं सिद्धी ण हि तेण जम्मणा दिट्ठा] निश्चय से स्त्रियों के नरकादि गतियों से विलक्षण अनन्त सुखादि गुण स्वभावरूप सिद्धि उसी जन्म-पर्याय से नहीं देखी गई है - नहीं कही गई है । [तम्हा तप्पडिरूवं] उस कारण उसके प्रतियोग्य सावरण- वस्त्र सहित रूप, [वियप्पियं लिंगमि-त्थीणं] निर्ग्रन्थलिंग से पृथक् होने के कारण, वस्त्र सहित चिन्ह भिन्न कहा गया है । वस्त्र सहित चिह्न किनका कहा गया है ? स्त्रियों का वस्त्र सहित चिन्ह कहा गया है ॥२४५॥