GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 134 - अर्थ
From जैनकोष
नि:श्रेयसमधिपन्ना-स्त्रैलोक्यशिखामणिश्रियं दधते
निष्किट्टिकालिकाच्छवि-चामीकरभासुरात्मान: ॥134॥
नि:श्रेयसमधिपन्ना-स्त्रैलोक्यशिखामणिश्रियं दधते
निष्किट्टिकालिकाच्छवि-चामीकरभासुरात्मान: ॥134॥