GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 34 - उत्थानिका अर्थ
From जैनकोष
आगे सम्यक्त्व के समान कल्याण और मिथ्यात्व के समान अकल्याण करने वाली दूसरी वस्तु नहीं है, यह बतलाते हैं-
आगे सम्यक्त्व के समान कल्याण और मिथ्यात्व के समान अकल्याण करने वाली दूसरी वस्तु नहीं है, यह बतलाते हैं-