कुंडलगिरि
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
इसके बहु मध्य भाग में एक कुंडलाकार पर्वत है, जिस पर आठ चैत्यालय हैं। 13 द्वीप के चैत्यालयों में इनकी गणना है।–देखें लोक - 4.6
पुराणकोष से
कुंडलवर द्वीप के मध्य में चूड़ी के आकार का यवों की राशि के समान सुशोभित एक पर्वत । इसकी गहराई एक हजार और ऊंचाई बयालीस हजार योजन है । चौड़ाई मूल में दस हजार दो सौ बीस योजन, मध्य में सात हजार एक सौ इकंसठ योजन और अंत में चार हजार छियानवें योजन है । शिरोमार्ग पर पूर्व आदि दिशाओं में चार-चार कट है । महापुराण 5.291, हरिवंशपुराण - 5.686-694