दर्शनक्रिया
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
देखें क्रिया - 3.2।
पुराणकोष से
कर्मबंध में करणभूत एक क्रिया । इसमें जीव राग वश सुंदर रूप देखना चाहता है । हरिवंशपुराण - 58.69
देखें क्रिया - 3.2।
कर्मबंध में करणभूत एक क्रिया । इसमें जीव राग वश सुंदर रूप देखना चाहता है । हरिवंशपुराण - 58.69