स्थूणा
From जैनकोष
भगवती आराधना / मूल या टीका गाथा 1027-1035/1072-1076
3 स्थूणा हैं, 107 मर्मस्थान हैं, 9 व्रणमुख हैं, जिससे नित्य दुर्गंध स्रवता है ।1032।
-अधिक जानकारी के लिए देखें औदारिक - 1.7।
भगवती आराधना / मूल या टीका गाथा 1027-1035/1072-1076
3 स्थूणा हैं, 107 मर्मस्थान हैं, 9 व्रणमुख हैं, जिससे नित्य दुर्गंध स्रवता है ।1032।
-अधिक जानकारी के लिए देखें औदारिक - 1.7।