उरग-सुरग-नरईश शीस जिस, आतपत्र त्रिधरे: Difference between revisions
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Latest revision as of 03:08, 16 February 2008
उरग-सुरग-नरईश शीस जिस, आतपत्र त्रिधरे ।
कुंदकुसुमसम चमर अमरगन, ढारत मोदभरे ।।उरग. ।।
तरु अशोक जाको अवलोकत, शोकथोक उजरे ।
पारजात संतानकादिके, बरसत सुमन वरे।।१ ।।उरग. ।।
सुमणिविचित्र पीठअंबुजपर, राजत जिन सुथिरे ।
वर्णविगत जाकी धुनिको सुनि, भवि भवसिंधुतरे।।२ ।।उरग. ।।
साढ़े बारह कोड़ जातिके, बाजत तूर्य खरे ।
भामंडलकी दुतिअखंडने, रविशशि मंद करे।।३ ।।उरग. ।।
ज्ञान अनंत अनंत दर्श बल, शर्म अनंत भरे ।
करुणामृतपूरित पद जाके, `दौलत' हृदय धरे।।४ ।।उरग. ।।