मैं आयौ, जिन शरन तिहारी: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: मैं आयौ, जिन शरन तिहारी ।<br> मैं चिरदुखी विभावभावतैं, स्वाभाविक निधि आप व...) |
No edit summary |
||
Line 11: | Line 11: | ||
[[Category:Bhajan]] | [[Category:Bhajan]] | ||
[[Category:दौलतरामजी]] | [[Category:दौलतरामजी]] | ||
[[Category:देव भक्ति ]] |
Latest revision as of 02:59, 16 February 2008
मैं आयौ, जिन शरन तिहारी ।
मैं चिरदुखी विभावभावतैं, स्वाभाविक निधि आप विसारी ।।मैं. ।।
रूप निहार धार तुम गुन सुन, वैन होत भवि शिव मगचारी ।
यौं मम कारज के कारन तुम, तुमरी सेव एक उर धारी ।।१ ।।
मिल्यौ अनन्त जन्मतैं अवसर, अब विनऊँ हे भवसर तारी ।
परम इष्ट अनिष्ट कल्पना, `दौल' कहै झट मेट हमारी ।।२ ।।