यशोभद्र: Difference between revisions
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<li class="HindiText"> श्रुतकेवली भद्रबाहु द्वि. गुरु ९ अंगधारी अथवा आचारगंधारी। समय<strong>−</strong>वि. नि. ४७४-४९२ (ई. पू. ५३-३५)। ( | <li class="HindiText"> श्रुतकेवली भद्रबाहु द्वि. गुरु ९ अंगधारी अथवा आचारगंधारी। समय<strong>−</strong>वि. नि. ४७४-४९२ (ई. पू. ५३-३५)। ( देखें - [[ इतिहास#4.4 | इतिहास / ४ / ४ ]])। </li> | ||
<li class="HindiText"> जिनसेन (ई. १८१८-१८७८) के आदि पुराण में प्रखर तार्किक के रूप में स्मृत और आ. पूज्यपाद (वि. श. ५-६) के जैनेन्द्र व्याकरण में नामोल्लेख। अतः समय<strong>−</strong>वि. श. ६ (ई. श. ५ उत्तरार्ध)। (ती./२/४५१)। </li> | <li class="HindiText"> जिनसेन (ई. १८१८-१८७८) के आदि पुराण में प्रखर तार्किक के रूप में स्मृत और आ. पूज्यपाद (वि. श. ५-६) के जैनेन्द्र व्याकरण में नामोल्लेख। अतः समय<strong>−</strong>वि. श. ६ (ई. श. ५ उत्तरार्ध)। (ती./२/४५१)। </li> | ||
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Revision as of 15:25, 6 October 2014
- श्रुतकेवली भद्रबाहु द्वि. गुरु ९ अंगधारी अथवा आचारगंधारी। समय−वि. नि. ४७४-४९२ (ई. पू. ५३-३५)। ( देखें - इतिहास / ४ / ४ )।
- जिनसेन (ई. १८१८-१८७८) के आदि पुराण में प्रखर तार्किक के रूप में स्मृत और आ. पूज्यपाद (वि. श. ५-६) के जैनेन्द्र व्याकरण में नामोल्लेख। अतः समय−वि. श. ६ (ई. श. ५ उत्तरार्ध)। (ती./२/४५१)।