GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 141 - टीका हिंदी
From जैनकोष
गाजर, मूली आदि मूल कहलाते हैं । आम, अमरूद आदि फल हैं, पत्ती वाले शाक भाजी कहलाते हैं । वृक्ष की नई कोंपल शाखा कहलाती है । बाँस के अंकुर को करीर कहते हैं, जमीन में रहने वाले अंगीठा आदि को कन्द कहते हैं । गोभी आदि के फूल को प्रसून कहते हैं और गेहूँ आदि को बीज कहा जाता है । ये सब अपक्व अवस्था में सचित्त सजीव रहते हैं, अत: दयामूर्ति-दया का धारक श्रावक इन्हें नहीं खाता है ।