GP:रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 30 - उत्थानिका अर्थ
From जैनकोष
सम्यग्दर्शन को धारण करने वाले जीव को प्रारम्भ से ही उसमें मलिनता नहीं करनी चाहिए, यह कहते हैं-
सम्यग्दर्शन को धारण करने वाले जीव को प्रारम्भ से ही उसमें मलिनता नहीं करनी चाहिए, यह कहते हैं-