यत्याचार: Difference between revisions
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<li class="HindiText"> यतियों अर्थात् साधुओं के आचार-विचार को यत्याचार कहा जाता है, वा जिसमें यतियों के आचारादि का वर्णन किया गया है, ऐसे मूलाचार, भगवती आराधना, अनगार धर्मामृत आदि | <li class="HindiText"> यतियों अर्थात् साधुओं के आचार-विचार को यत्याचार कहा जाता है, वा जिसमें यतियों के आचारादि का वर्णन किया गया है, ऐसे मूलाचार, भगवती आराधना, अनगार धर्मामृत आदि ग्रंथों को भी यत्याचार कहा जाता है। </li> | ||
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Latest revision as of 13:14, 24 October 2022
- आ. पद्मनंदि 7 (ई. 1305) की एक रचना।
- यतियों अर्थात् साधुओं के आचार-विचार को यत्याचार कहा जाता है, वा जिसमें यतियों के आचारादि का वर्णन किया गया है, ऐसे मूलाचार, भगवती आराधना, अनगार धर्मामृत आदि ग्रंथों को भी यत्याचार कहा जाता है।