रत्नकरंड श्रावकाचार - श्लोक 15: Difference between revisions
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Latest revision as of 21:30, 2 November 2022
स्वयं शुद्धस्य मार्गस्य, बालाशक्तजनाश्रयाम्
वाच्यतां यत्प्रमार्जन्ति, तद्वदन्त्युपगूहनम् ॥15॥