लघिमा विक्रिया ऋद्धि: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> | <div class="SanskritText"> <span class="GRef"> तिलोयपण्णत्ति अधिकार संख्या ४/१०२७ </span>मेरूवमाण देहा महिमा अणिलाउ लहुत्तरो लहिमा। वज्जाहिंतो गुरुवत्तणं च गरिमं त्ति भणंति ।१०२७।</div> | ||
<div class="HindiText"> = मेरुके बराबर शरीरके करनेको महिमा, वायुसे भी लघु (हलका) शरीर करनेको लघिमा और वज्रसे भी अधिक गुरुतायुक्त (भारी) शरीरके करनेको गरिमा ऋद्धि कहते हैं।<span class="GRef"> (राजवार्तिक अध्याय संख्या ३/३६/३/२०३/१);( धवला पुस्तक संख्या ९/४,१,१५/७५/५); (च.सा. २१९/२) </span> | |||
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Latest revision as of 15:35, 12 November 2022
तिलोयपण्णत्ति अधिकार संख्या ४/१०२७ मेरूवमाण देहा महिमा अणिलाउ लहुत्तरो लहिमा। वज्जाहिंतो गुरुवत्तणं च गरिमं त्ति भणंति ।१०२७।
= मेरुके बराबर शरीरके करनेको महिमा, वायुसे भी लघु (हलका) शरीर करनेको लघिमा और वज्रसे भी अधिक गुरुतायुक्त (भारी) शरीरके करनेको गरिमा ऋद्धि कहते हैं। (राजवार्तिक अध्याय संख्या ३/३६/३/२०३/१);( धवला पुस्तक संख्या ९/४,१,१५/७५/५); (च.सा. २१९/२)
अधिक जानकारी के लिए देखें ऋद्धि - 3।