अशुद्ध चेतना: Difference between revisions
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Latest revision as of 05:43, 27 November 2022
शुद्धात्मा को विषय करने वाली न होने से अशुद्ध चेतना दो प्रकार की है – कर्मचेतना व कर्मफल चेतना।
कर्मचेतना व कर्मफल चेतना के लक्षण
समयसार / आत्मख्याति/387 तत्राज्ञानादन्यत्रेदमहं करोमीति चेतनं कर्मचेतना। ज्ञानादन्येत्रेदं वेदयेऽहमिति चेतनं कर्मफलचेतना। =ज्ञान से अन्य (भावों में) ऐसा अनुभव करना कि ‘इसे मैं करता हूँ’ सो कर्म चेतना है, और ज्ञान से अन्य (भावों में) ऐसा अनुभव करना कि ‘इसे मैं भोगता हूँ’ सो कर्मफल चेतना है।
अन्य परिभाषाओं के लिए देखें चेतना ।