अंश: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(13 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef">पंचाध्यायी / पूर्वार्ध श्लोक 60</span> <p class="SanskritText">अपि चांशः पर्यायो भागो हारो विधा प्रकारश्च। भेदश्छेदो भंगः शब्दाश्चैकार्थवाचका एते ॥60॥ </p> | |||
<p>= अंश, पर्याय, भाग, हार, विधा, प्रकार तथा भेद, छेद और भंग ये सब शब्द एक ही अर्थ के वाचक हैं। अर्थात् इनका दूसरा अर्थ नहीं है।</p> | <p class="HindiText">= अंश, पर्याय, भाग, हार, विधा, प्रकार तथा भेद, छेद और भंग ये सब शब्द एक ही अर्थ के वाचक हैं। अर्थात् इनका दूसरा अर्थ नहीं है।</p> | ||
<p> | <p class="SanskritText"><span class="GRef">पंचाध्यायी / पूर्वार्ध श्लोक276</span> तत्र निरंशो विधिरिति से यथा स्वयं सदेवेति। तदिह विभज्य विभागैः प्रतिपेधश्वांशकल्पनं तस्य ॥276॥ </p> | ||
<p>= उन विधि और प्रतिषेध में अंश कल्पना का न होना विधि यह है तथा वह विधि इस प्रकार है कि जैसे स्वयं सब सत् ही है, और यहाँ पर विभागों के द्वारा उस सत् का विभाग करके उसके अंशों की कल्पना प्रतिषेध है।</p> | <p class="HindiText">= उन विधि और प्रतिषेध में अंश कल्पना का न होना विधि यह है तथा वह विधि इस प्रकार है कि जैसे स्वयं सब सत् ही है, और यहाँ पर विभागों के द्वारा उस सत् का विभाग करके उसके अंशों की कल्पना प्रतिषेध है।</p><br> | ||
<p>• निरंश द्रव्य में अंशकल्पना - देखें [[ द्रव्य ]]।</p> | |||
<p>• उत्पादादि तीनों वस्तु के अंश हैं। - देखें [[ उत्पादव्ययध्रौव्य ]]।</p> | <p class="HindiText">• निरंश द्रव्य में अंशकल्पना - देखें [[ द्रव्य ]]।</p> | ||
<p>• गुणों में अंशकल्पना - देखें [[ गुण#2 | गुण - 2]]।</p> | <p class="HindiText">• उत्पादादि तीनों वस्तु के अंश हैं। - देखें [[ उत्पादव्ययध्रौव्य ]]।</p> | ||
<p>गणित | <p class="HindiText">• गुणों में अंशकल्पना - देखें [[ गुण#2 | गुण - 2]]।</p> | ||
<p class="HindiText">• गणित संबंधी अर्थ- x/y में x अंश कहलाता है - दे.-[[गणित|गणित/II/1/10]]</p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
[[ | [[ अंभोधि | पूर्व पृष्ठ ]] | ||
[[ अंशुक | अगला पृष्ठ ]] | [[ अंशुक | अगला पृष्ठ ]] | ||
Line 17: | Line 18: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 10:34, 8 December 2022
पंचाध्यायी / पूर्वार्ध श्लोक 60
अपि चांशः पर्यायो भागो हारो विधा प्रकारश्च। भेदश्छेदो भंगः शब्दाश्चैकार्थवाचका एते ॥60॥
= अंश, पर्याय, भाग, हार, विधा, प्रकार तथा भेद, छेद और भंग ये सब शब्द एक ही अर्थ के वाचक हैं। अर्थात् इनका दूसरा अर्थ नहीं है।
पंचाध्यायी / पूर्वार्ध श्लोक276 तत्र निरंशो विधिरिति से यथा स्वयं सदेवेति। तदिह विभज्य विभागैः प्रतिपेधश्वांशकल्पनं तस्य ॥276॥
= उन विधि और प्रतिषेध में अंश कल्पना का न होना विधि यह है तथा वह विधि इस प्रकार है कि जैसे स्वयं सब सत् ही है, और यहाँ पर विभागों के द्वारा उस सत् का विभाग करके उसके अंशों की कल्पना प्रतिषेध है।
• निरंश द्रव्य में अंशकल्पना - देखें द्रव्य ।
• उत्पादादि तीनों वस्तु के अंश हैं। - देखें उत्पादव्ययध्रौव्य ।
• गुणों में अंशकल्पना - देखें गुण - 2।
• गणित संबंधी अर्थ- x/y में x अंश कहलाता है - दे.-गणित/II/1/10