अत्यंताभाव: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(5 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef">जैन सिद्धांत प्रवेशिका/185</span> | |||
<p class="HindiText"> एक द्रव्य में दूसरे द्रव्य के अभाव को अत्यंताभाव कहते है।</p> | |||
<p class="HindiText">- विस्तार से समझने के लिये देखें [[ अभाव ]]।</p> | |||
<noinclude> | |||
[[ अतोरण | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ अत्यंतायोगव्यवच्छेद | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: अ]] | |||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 12:32, 10 December 2022
जैन सिद्धांत प्रवेशिका/185
एक द्रव्य में दूसरे द्रव्य के अभाव को अत्यंताभाव कहते है।
- विस्तार से समझने के लिये देखें अभाव ।