अध्यात्मपद्धति: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(4 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
- < | <span class="GRef">कषायपाहुड २/२,२२/§२९/१४/९</span> <span class="PrakritText">सुत्तवित्तिविवरणाए पद्धईववएसादो।</span> = <span class="HindiText">सूत्र और वृत्ति इन दोनों का जो विवरण है, उसकी पद्धति संज्ञा है। <br /> </span> | ||
[[Category:अ]] | |||
<span class="GRef"> का./ता.वृ./१७३/२५५/११</span> <span class="SanskritText">अर्थपदार्थानामभेदरत्नत्रयप्रतिपादका-नामनुकूलं यत्र व्याख्यानं क्रियते तदध्यात्मशास्त्रं भण्यते... वीतराग-सर्वज्ञप्रणीतषड्द्रव्यादिसम्यक्श्रद्धानज्ञानव्रताद्यनुष्ठानभेदरत्नत्रयस्वरूपं यत्र प्रतिपाद्यते तदागमशास्त्रं भण्यते। </span> <p class="HindiText">=जिसमें अभेद रत्नत्रय के प्रतिपादक अर्थ और पदार्थों का व्याख्यान किया जाता है उसको '''अध्यात्म शास्त्र''' कहते हैं।... वीतराग सर्वज्ञ प्रणीत छः द्रव्यों आदि का सम्यक्श्रद्धान, सम्यक्ज्ञान, तथा व्रतादि के अनुष्ठानरूप रत्नत्रय के स्वरूप का जिसमें प्रतिपादन किया जाता है उसको आगम शास्त्र कहते हैं। </p> | |||
<p class="HindiText">- और विस्तार के लिये देखें [[ पद्धति ]]।</p> | |||
<noinclude> | |||
[[ अध्यात्मपदटीका | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ अध्यात्मरहस्य | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: अ]] | |||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 11:10, 12 December 2022
कषायपाहुड २/२,२२/§२९/१४/९ सुत्तवित्तिविवरणाए पद्धईववएसादो। = सूत्र और वृत्ति इन दोनों का जो विवरण है, उसकी पद्धति संज्ञा है।
का./ता.वृ./१७३/२५५/११ अर्थपदार्थानामभेदरत्नत्रयप्रतिपादका-नामनुकूलं यत्र व्याख्यानं क्रियते तदध्यात्मशास्त्रं भण्यते... वीतराग-सर्वज्ञप्रणीतषड्द्रव्यादिसम्यक्श्रद्धानज्ञानव्रताद्यनुष्ठानभेदरत्नत्रयस्वरूपं यत्र प्रतिपाद्यते तदागमशास्त्रं भण्यते।
=जिसमें अभेद रत्नत्रय के प्रतिपादक अर्थ और पदार्थों का व्याख्यान किया जाता है उसको अध्यात्म शास्त्र कहते हैं।... वीतराग सर्वज्ञ प्रणीत छः द्रव्यों आदि का सम्यक्श्रद्धान, सम्यक्ज्ञान, तथा व्रतादि के अनुष्ठानरूप रत्नत्रय के स्वरूप का जिसमें प्रतिपादन किया जाता है उसको आगम शास्त्र कहते हैं।
- और विस्तार के लिये देखें पद्धति ।