अपवर्तन: Difference between revisions
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<p>= | <p class="HindiText">= उपघात के निमित्त विष शस्त्रादिक बाह्य निमित्तों के मिलने पर जो आयु घट जाती है वह अपवर्त्य आयु कहलाती है।</p> | ||
< | <span class="GRef">कषायपाहुड़ पुस्तक 1,18/$315/347/5 </span><p class="PrakritText">किमोवट्टणं णाम। णवुंसयवेए खविदे सेसणोकसायक्खवणमोवट्टणं णाम।</p> | ||
<p>= प्रश्न-अपवर्तना किसे कहते हैं। उत्तर- | <p class="HindiText">= '''प्रश्न'''-अपवर्तना किसे कहते हैं। '''उत्तर'''-नपुंसकवेद का क्षपण हो जाने पर शेष नोकषायों के क्षपण होने को यहाँ अपवर्तना कहा है।</p> | ||
< | <span class="GRef">गोम्मट्टसार कर्मकांड / जीव तत्त्व प्रदीपिका टीका गाथा 643/837/16</span> <p class="SanskritText">आयुर्बंधं कुर्वतां जीवानां परिणामवशेन बध्यामानस्यायुषोऽपवर्तनमपि भवति तदेवापवर्तनघात इत्युच्यते, उदीयमानायुरपवर्तनस्यैव कदलीघाताभिधानात्।</p> | ||
<p>= आयुके | <p class="HindiText">= आयुके बंध को करते जीव तिनि कै परिणामनि के वश तै बध्यमान आयु का अपवर्तन भी होता है। अपवर्तन नाम घटने का है, सो याकौ अपवर्तनघात कहिए, जातैं उदय आई (भुज्यमान) आयु कै अपवर्तन का नाम कदलीघात है। (अर्थात् भुज्यमान आयु के घटने का नाम कदलीघात और बध्यमान आयु के घटने का नाम अपवर्तनघात है।)</p> | ||
<p>2. | <p class="HindiText"><b>2. अनुसमयापवर्तना का लक्षण</b></p> | ||
< | <span class="GRef">कषायपाहुड़ पुस्तक 5/4-22/$627/396/13</span> <p class="PrakritText ">का अणुसमओवट्टणा। उदय-उदयावलियासु पविस्समाणट्टिदीणमणुभागस्स उदयावलिबाहिरट्ठिदीणमणुभागस्स य समयं पडि अपंतगुणहीणकमेण घादो।</p> | ||
<p>= प्रश्न-प्रतिसमय अपवर्तना किसे कहते हैं। उत्तर-उदय और | <p class="HindiText">= '''प्रश्न'''-प्रतिसमय अपवर्तना किसे कहते हैं। '''उत्तर'''-उदय और उदयावलि में प्रवेश करने वाली स्थितियों के अनुभाग का तथा उदयावली से बाहर की स्थितियों के अनुभाग जो प्रति समय अनंतगुणहीन क्रम से घात होता है उसे प्रतिसमय अपवर्तना कहते हैं।</p> | ||
< | <span class="GRef">धवला पुस्तक 12/4,2,7,41/12/32/2</span> <p class="PrakritText ">उक्कीरणकालेण विणा एगसमएणेव पददि सा अणुसमओवट्टणा। अण्णं च, अणुसमओवट्टणाए णियमेण अणंताभागा हम्मंति।</p> | ||
<p>= | <p class="HindiText">= उत्कीरणकाल के बिना, एक समय द्वारा जो घात होता है वह अनुसमयापवर्तना है। अथवा अनुसमयापवर्तना में नियम से अनंत बहुभाग नष्ट होता है। (अर्थात् एक समय में ही अनंतों कांडकों का युगपत् घात करना अनुसमयापवर्तना है।)</p> | ||
<p>• अनुसमयापवर्तना व | <p class="HindiText">• अनुसमयापवर्तना व कांडकघात में अंतर-देखें [[ अपकर्षण#4.6 | अपकर्षण - 4.6]]।</p> | ||
<p>• | <p class="HindiText">• आयु के अपवर्तन संबंधी-देखें [[ आयु#5 | आयु - 5]]।</p> | ||
<p>• अकाल मृत्यु वश | <p class="HindiText">• अकाल मृत्यु वश आयु का अपवर्तन-देखें [[ मरण#4 | मरण - 4]]।</p> | ||
<p>• अपवर्तनोद्वर्तन-देखें [[ अश्वकर्ण करण ]]।</p> | <p class="HindiText">• अपवर्तनोद्वर्तन-देखें [[ अश्वकर्ण करण ]]।</p> | ||
<p>3. | <p class="HindiText"><b>3. गणित के संबंध में अपवर्तन</b></p> | ||
<p>अमान | <p class="HindiText">अमान मूल्यों में बदलना जैसे 18/72=1/4-देखें [[ गणित#II.1.10 | गणित - II.1.10]]।</p> | ||
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Latest revision as of 13:47, 24 December 2022
1. अपवर्तनाघात सामान्य का लक्षण
सर्वार्थसिद्धि अध्याय 2/53/201
बाह्यस्योपघातनिमित्तस्य विषशस्त्रादेः सति संनिधाने ह्रस्वं भवतीत्यपवर्त्यम्।
= उपघात के निमित्त विष शस्त्रादिक बाह्य निमित्तों के मिलने पर जो आयु घट जाती है वह अपवर्त्य आयु कहलाती है।
कषायपाहुड़ पुस्तक 1,18/$315/347/5
किमोवट्टणं णाम। णवुंसयवेए खविदे सेसणोकसायक्खवणमोवट्टणं णाम।
= प्रश्न-अपवर्तना किसे कहते हैं। उत्तर-नपुंसकवेद का क्षपण हो जाने पर शेष नोकषायों के क्षपण होने को यहाँ अपवर्तना कहा है।
गोम्मट्टसार कर्मकांड / जीव तत्त्व प्रदीपिका टीका गाथा 643/837/16
आयुर्बंधं कुर्वतां जीवानां परिणामवशेन बध्यामानस्यायुषोऽपवर्तनमपि भवति तदेवापवर्तनघात इत्युच्यते, उदीयमानायुरपवर्तनस्यैव कदलीघाताभिधानात्।
= आयुके बंध को करते जीव तिनि कै परिणामनि के वश तै बध्यमान आयु का अपवर्तन भी होता है। अपवर्तन नाम घटने का है, सो याकौ अपवर्तनघात कहिए, जातैं उदय आई (भुज्यमान) आयु कै अपवर्तन का नाम कदलीघात है। (अर्थात् भुज्यमान आयु के घटने का नाम कदलीघात और बध्यमान आयु के घटने का नाम अपवर्तनघात है।)
2. अनुसमयापवर्तना का लक्षण
कषायपाहुड़ पुस्तक 5/4-22/$627/396/13
का अणुसमओवट्टणा। उदय-उदयावलियासु पविस्समाणट्टिदीणमणुभागस्स उदयावलिबाहिरट्ठिदीणमणुभागस्स य समयं पडि अपंतगुणहीणकमेण घादो।
= प्रश्न-प्रतिसमय अपवर्तना किसे कहते हैं। उत्तर-उदय और उदयावलि में प्रवेश करने वाली स्थितियों के अनुभाग का तथा उदयावली से बाहर की स्थितियों के अनुभाग जो प्रति समय अनंतगुणहीन क्रम से घात होता है उसे प्रतिसमय अपवर्तना कहते हैं।
धवला पुस्तक 12/4,2,7,41/12/32/2
उक्कीरणकालेण विणा एगसमएणेव पददि सा अणुसमओवट्टणा। अण्णं च, अणुसमओवट्टणाए णियमेण अणंताभागा हम्मंति।
= उत्कीरणकाल के बिना, एक समय द्वारा जो घात होता है वह अनुसमयापवर्तना है। अथवा अनुसमयापवर्तना में नियम से अनंत बहुभाग नष्ट होता है। (अर्थात् एक समय में ही अनंतों कांडकों का युगपत् घात करना अनुसमयापवर्तना है।)
• अनुसमयापवर्तना व कांडकघात में अंतर-देखें अपकर्षण - 4.6।
• आयु के अपवर्तन संबंधी-देखें आयु - 5।
• अकाल मृत्यु वश आयु का अपवर्तन-देखें मरण - 4।
• अपवर्तनोद्वर्तन-देखें अश्वकर्ण करण ।
3. गणित के संबंध में अपवर्तन
अमान मूल्यों में बदलना जैसे 18/72=1/4-देखें गणित - II.1.10।