अवधृत: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(8 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef">मूलाचार गाथा 347-348</span> <p class=" PrakritText ">....इतिरियं साकांक्षम्.... ॥347॥ छट्ठट्ठमदसमद्वादसेहिं मासद्धमासखमणाणि। कणगेगावलि आदी तवोविहाणाणि णाहारे ॥348॥ </p> | |||
<p class="HindiText">= काल की मर्यादा से इतिरिय होता है ॥347॥ अर्थात् एक दिन में दो भोजन वेला कही हैं। चार भोजन वेला का त्याग उसे चतुर्थ उपवास कहते हैं। छः भोजन वेला का त्याग अर्थात् दो उपवास को षष्ठम तप कहते हैं। षष्टम, अष्टम, दशम, द्वादश, पंद्रह दिन, एक मास त्याग, कनकावली, एकावली, मुरज, मद्यविमानपंक्ति, सिंहनीःक्रीडित इत्यादि भेदों को साकांक्ष अनशन तप या '''अवधृत काल अनशन''' तप कहते हैं॥348॥ </p> | |||
<span class="HindiText"> अधिक जानकारी के लिए देखें [[ अनशन ]]।</span> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 12: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: चरणानुयोग]] |
Latest revision as of 10:43, 28 December 2022
मूलाचार गाथा 347-348
....इतिरियं साकांक्षम्.... ॥347॥ छट्ठट्ठमदसमद्वादसेहिं मासद्धमासखमणाणि। कणगेगावलि आदी तवोविहाणाणि णाहारे ॥348॥
= काल की मर्यादा से इतिरिय होता है ॥347॥ अर्थात् एक दिन में दो भोजन वेला कही हैं। चार भोजन वेला का त्याग उसे चतुर्थ उपवास कहते हैं। छः भोजन वेला का त्याग अर्थात् दो उपवास को षष्ठम तप कहते हैं। षष्टम, अष्टम, दशम, द्वादश, पंद्रह दिन, एक मास त्याग, कनकावली, एकावली, मुरज, मद्यविमानपंक्ति, सिंहनीःक्रीडित इत्यादि भेदों को साकांक्ष अनशन तप या अवधृत काल अनशन तप कहते हैं॥348॥
अधिक जानकारी के लिए देखें अनशन ।