अवस्था: Difference between revisions
From जैनकोष
(Replacing page with 'Category:अ <br>') |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(9 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
[[Category:अ]] | <span class="GRef">पंचाध्यायी / पूर्वार्ध श्लोक 117</span> <p class="SanskritText">अपि नित्याः प्रतिसमयं विनापि यत्नं हि परिणमंति गुणाः। स च परिणामोऽवस्था तेषामेव ॥117॥</p> | ||
<p class="HindiText">= गुण (या द्रव्य) नित्य है तो भी वे स्वभाव से ही प्रतिसमय परिणमन करते रहते हैं। वह परिणमन ही उन गुणों (या द्रव्यों) की अवस्था है।</p> | |||
<noinclude> | |||
[[ अवसाय | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ अवस्थान | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: अ]] | |||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 13:16, 28 December 2022
पंचाध्यायी / पूर्वार्ध श्लोक 117
अपि नित्याः प्रतिसमयं विनापि यत्नं हि परिणमंति गुणाः। स च परिणामोऽवस्था तेषामेव ॥117॥
= गुण (या द्रव्य) नित्य है तो भी वे स्वभाव से ही प्रतिसमय परिणमन करते रहते हैं। वह परिणमन ही उन गुणों (या द्रव्यों) की अवस्था है।