उत्सर्ग लिंग: Difference between revisions
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< | <span class="GRef"> भगवती आराधना/77</span><span class="PrakritGatha">उस्सग्गियलिंगकदस्स लिंगमुस्सग्गियं तयं चेव। अवबादियलिंगस्स वि पसत्थमुवसग्गिंयं लिंगं।77।</span> | ||
<span class="HindiText"> = संपूर्ण परिग्रहों का त्याग करना '''उत्सर्ग''' है। संपूर्ण परिग्रहों का त्याग जब होता है उस सयम जो चिह्न मुनि धारण करते हैं उसको औत्सर्गिक कहते हैं अर्थात् नग्नता को '''औत्सर्गिक लिंग''' कहते हैं। यती को परिग्रह अपवाद का कारण है अतः परिग्रह सहित लिंग को अपवादलिंग कहते हैं। अर्थात् अपवाद लिंग धारक गृहस्थ जब भक्त प्रत्याख्यान के लिए उद्यत होता है तब उसके पुरुष लिंग में कोई दोष न हो तो वह नग्नता धारण कर सकता है।77। </span></li> | |||
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भगवती आराधना/77उस्सग्गियलिंगकदस्स लिंगमुस्सग्गियं तयं चेव। अवबादियलिंगस्स वि पसत्थमुवसग्गिंयं लिंगं।77।
= संपूर्ण परिग्रहों का त्याग करना उत्सर्ग है। संपूर्ण परिग्रहों का त्याग जब होता है उस सयम जो चिह्न मुनि धारण करते हैं उसको औत्सर्गिक कहते हैं अर्थात् नग्नता को औत्सर्गिक लिंग कहते हैं। यती को परिग्रह अपवाद का कारण है अतः परिग्रह सहित लिंग को अपवादलिंग कहते हैं। अर्थात् अपवाद लिंग धारक गृहस्थ जब भक्त प्रत्याख्यान के लिए उद्यत होता है तब उसके पुरुष लिंग में कोई दोष न हो तो वह नग्नता धारण कर सकता है।77।
देखें लिंग - 1।