उपशांत कर्म: Difference between revisions
From जैनकोष
(New page: धवला पुस्तक संख्या १२/४,२,१०,२/३०३/५ द्वाभ्यामाभ्यां व्यतिरिक्तः कर्म...) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(5 intermediate revisions by 2 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="GRef">धवला पुस्तक 12/4,2,10,2/303/5</span> <p class="SanskritText">द्वाभ्यामाभ्यां व्यतिरिक्तः कर्मपुद्गलस्कंधः उपशांतः।</p> | |||
<p class="HindiText">= इन दोनों उदीरणा या उदय तथा बंधसे व्यतिरिक्त कर्म पुद्गलस्कंध उपशांत है।</p> | |||
<span class="GRef">गोम्मट्टसार कर्मकांड / जीव तत्त्व प्रदीपिका टीका गाथा 440/593/3</span> <p class="SanskritText">"यत्कर्म उदयावल्यां निक्षेप्तुमशक्यं तदुपशांतं नाम।"</p> | |||
<p class="HindiText">= जो कर्म उदयावली विषै प्राप्त करनेकौं समर्थ न हूजे सो उपशांत कहिये।</p> | |||
<noinclude> | |||
[[ उपशमक | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ उपशांत कषाय | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: उ]] | |||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 13:16, 24 January 2023
धवला पुस्तक 12/4,2,10,2/303/5
द्वाभ्यामाभ्यां व्यतिरिक्तः कर्मपुद्गलस्कंधः उपशांतः।
= इन दोनों उदीरणा या उदय तथा बंधसे व्यतिरिक्त कर्म पुद्गलस्कंध उपशांत है।
गोम्मट्टसार कर्मकांड / जीव तत्त्व प्रदीपिका टीका गाथा 440/593/3
"यत्कर्म उदयावल्यां निक्षेप्तुमशक्यं तदुपशांतं नाम।"
= जो कर्म उदयावली विषै प्राप्त करनेकौं समर्थ न हूजे सो उपशांत कहिये।