कुशील संगति: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> मुनियों को कुशील संगति का निषेध–देखें [[ संगति ]]।</span> | |||
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Latest revision as of 14:11, 24 March 2023
भगवती आराधना/343 जो जारिसीय मेत्ती केरइ सो होइ तारिसो चेव। वासिज्जइ च्छुरिया सा रिया वि कणयादिसंगेण।343। = जैसे छुरी सुवर्णादिक की जिल्हई देने से सुवर्णादि स्वरूप की दीखती है वैसे मनुष्य भी जिसकी मित्रता करेगा वैसा ही अर्थात् दुष्ट के सहवास से दुष्ट और सज्जन के सहवास से सज्जन होगा।343।
मुनियों को कुशील संगति का निषेध–देखें संगति ।