केवलदर्शनावरण: Difference between revisions
From जैनकोष
('<p class="HindiText">देखें - दर्शनावरण। </p> <p><table class="NextPr...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
(4 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
< | <span class="GRef"> राजवार्तिक/8/8/12-16/573 </span><span class="SanskritText">चक्षुरक्षुर्दर्शनावरणोदयात् चक्षुरादींद्रियालोचनविकल:।12। ...पंचेंद्रियत्वेऽप्युपहतेंद्रियालोचनसामर्थ्यश्च भवति। अवधिदर्शनावरणोदयादवधिदर्शनविप्रमुक्त:।13। केवलदर्शनावरणोदयादाविर्भूतकेवलदर्शन:।14। निद्रा-निद्रानिद्रोदयात्तमोमहातमोऽवस्था।15। प्रचला-प्रचलोदयाच्चलनातिचलनभाव:।16। </span>=<span class="HindiText">चक्षुदर्शनावरण और अचक्षुदर्शनावरण के उदय से आत्मा के चक्षुरादि इंद्रियजन्य आलोचन नहीं हो पाता। इन इंद्रियों से होने वाले ज्ञान के पहिले जो सामान्यालोचन होता है उस पर इन दर्शनावरणों का असर होता है। अवधिदर्शनावरण के उदय से अवधिदर्शन और '''केवलदर्शनावरण''' के उदय से केवलदर्शन नहीं हो पाता। निद्रा के उदय से तमअवस्था और निद्रा-निद्रा के उदय से महातम अवस्था होती है। प्रचला के उदय से बैठे-बैठे ही घूमने लगता है, नेत्र और शरीर चलने लगते हैं, देखते हुए भी देख नहीं पाता। प्रचला प्रचला के उदय से अत्यंत ऊँघता है।</span> | ||
[[Category:क]] | <span class="HindiText"> देखें [[ दर्शनावरण ]]।</span> | ||
<noinclude> | |||
[[ केवलदर्शन | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ केवललब्धि | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: क]] | |||
[[Category: करणानुयोग]] |
Latest revision as of 17:47, 7 April 2023
राजवार्तिक/8/8/12-16/573 चक्षुरक्षुर्दर्शनावरणोदयात् चक्षुरादींद्रियालोचनविकल:।12। ...पंचेंद्रियत्वेऽप्युपहतेंद्रियालोचनसामर्थ्यश्च भवति। अवधिदर्शनावरणोदयादवधिदर्शनविप्रमुक्त:।13। केवलदर्शनावरणोदयादाविर्भूतकेवलदर्शन:।14। निद्रा-निद्रानिद्रोदयात्तमोमहातमोऽवस्था।15। प्रचला-प्रचलोदयाच्चलनातिचलनभाव:।16। =चक्षुदर्शनावरण और अचक्षुदर्शनावरण के उदय से आत्मा के चक्षुरादि इंद्रियजन्य आलोचन नहीं हो पाता। इन इंद्रियों से होने वाले ज्ञान के पहिले जो सामान्यालोचन होता है उस पर इन दर्शनावरणों का असर होता है। अवधिदर्शनावरण के उदय से अवधिदर्शन और केवलदर्शनावरण के उदय से केवलदर्शन नहीं हो पाता। निद्रा के उदय से तमअवस्था और निद्रा-निद्रा के उदय से महातम अवस्था होती है। प्रचला के उदय से बैठे-बैठे ही घूमने लगता है, नेत्र और शरीर चलने लगते हैं, देखते हुए भी देख नहीं पाता। प्रचला प्रचला के उदय से अत्यंत ऊँघता है।
देखें दर्शनावरण ।