क्षायिक भाव: Difference between revisions
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<span class="GRef"> गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/8/29/14 </span><span class="SanskritText"> तस्मिन् (क्षये) भव: क्षायिक:। </span>=<span class="HindiText">ताकौ (क्षय) होतै जो होइ सो '''क्षायिक भाव''' है। </span> | <span class="GRef"> गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/8/29/14 </span><span class="SanskritText"> तस्मिन् (क्षये) भव: क्षायिक:। </span>=<span class="HindiText">ताकौ (क्षय) होतै जो होइ सो '''क्षायिक भाव''' है। </span> | ||
<span class="GRef"> तत्त्वार्थसूत्र/2/3-4 </span><span class="SanskritText">सम्यक्त्वचारित्रे।3। ज्ञानदर्शनदानलाभभोगोपभोगवीर्याणि च।4।</span>=<span class="HindiText">'''क्षायिक भाव''' के नौ भेद हैं—क्षायिक ज्ञान, क्षायिक दर्शन, क्षायिक दान, क्षायिक लाभ, क्षायिक भोग, क्षायिक उपभोग, क्षायिक वीर्य, क्षायिक सम्यक्त्व और क्षायिक चारित्र। </span><br /> | |||
<span class="HindiText">देखें [[ क्षय#4 | क्षय - 4]]।</span> | <span class="HindiText">देखें [[ क्षय#4 | क्षय - 4]]।</span> | ||
Latest revision as of 16:49, 11 April 2023
गोम्मटसार जीवकांड / जीवतत्त्व प्रदीपिका/8/29/14 तस्मिन् (क्षये) भव: क्षायिक:। =ताकौ (क्षय) होतै जो होइ सो क्षायिक भाव है।
तत्त्वार्थसूत्र/2/3-4 सम्यक्त्वचारित्रे।3। ज्ञानदर्शनदानलाभभोगोपभोगवीर्याणि च।4।=क्षायिक भाव के नौ भेद हैं—क्षायिक ज्ञान, क्षायिक दर्शन, क्षायिक दान, क्षायिक लाभ, क्षायिक भोग, क्षायिक उपभोग, क्षायिक वीर्य, क्षायिक सम्यक्त्व और क्षायिक चारित्र।
देखें क्षय - 4।